दलालों ने मोटी मजदूरी दिलाने का झांसा देकर धनवाही और करियापाथर के 52 मजदूरों को मौत के मुंह में भेज दिया गया। ये सभी मजदूर शुक्रवार रात लगभग 2.50 बजे सकुशल अपने गांव लौट आए। ‘नईदुनिया’ की खबर के बाद हरकत में आए जिला प्रशासन हरकत ने सोलापुर (महाराष्ट्र) से 20 किलोमीटर दूर कुंदल गांव में बंधक मजदूरों का पता लगाकर उनकी वापसी के प्रयास किए। सोलापुर के जिला प्रशासन और मदरूप थाने से बातचीत कर मजदूरों को दलालों से मुक्त कराया। मजदूरों ने बताया कि गन्ना खेत मालिक ने उन्हें बंधक बना लिया था। मारता-पीटता और भूखे पेट काम कराता था। हम लोगों की मजदूरी भी खा गया।
52 मजदूर दो माह बाद वापस लौटे गांव
वापस आए मजदूरों ने बताया कि दीपावली के चार दिन बाद भरदा और कूडन गांव निवासी शंभू बर्मन और किशन लाल गांव आए और हम लोगों से मजदूरी के लिए नागपुर के पास चलने के लिए कहा। दलाल ने सभी को 400 रुपये प्रतिदिन मजदूरी दिलाने का वादा किया। इस पर धनवाही के 38 मजदूर तैयार हो गए।
‘नईदुनिया’ की खबर के बाद जागा प्रशासन
इस बीच करियापाथर के भी 14 मजदूरों को तैयार कर लिया। सभी 52 मजदूरों को बसों से नागपुर तक भेजा और नागपुर के लोगों के हवाले कर दिया। वहां से उन्हें कुंदल गांव ले जाया गया। कुंदल गांव में इनसे गन्ने की कटाई करवाई गई। एक सप्ताह बाद खेत मालिक ने इनकी मजदूरी 400 से घटाकर 200 रुपये कर दी। फिर 150 और बाद में 100 रुपये कर दी गई। इससे मजदूर खाने और रहने के लिए मोहताज होने लगे। विरोध करने पर खेत मालिक मारने -पीटने लगा।