अमेरिकी संसद के निचले सदन प्रतिनिधि सभा ने 1.9 ट्रिलियन डॉलर के कोरोना राहत पैकेज संबंधी विधेयक को शनिवार को मंजूरी दे दी। राष्ट्रपति जो बाइडन के इस पैकेज के जरिये महामारी के चलते संकट का सामना कर रहे लोगों, कारोबारियों, प्रांतों और शहरों को वित्तीय सहायता दी जाएगी। प्रतिनिधि सभा में 212 के मुकाबले 219 वोट से इस विधेयक को पारित किया गया।
संभल नहीं पाई है अर्थव्यवस्था
डेमोक्रेट सांसदों ने कहा कि अब भी अर्थव्यवस्था पूरी तरह संभल नहीं पाई है और लाखों लोगों की नौकरियां चली गई हैं, ऐसे में निर्णायक कार्रवाई जरूरी है। वहीं रिपब्लिकन सांसदों ने कहा कि विधेयक में बहुत अधिक खर्च का प्रावधान किया गया है, लेकिन स्कूलों को खोलने के लिए ज्यादा धन नहीं रखा गया है। आलम यह है कि केवल नौ फीसद रकम ही सीधे कोरोना से लड़ने में खर्च हो सकेगी।
लोगों की परवाह करती है सरकार
सदन में अल्पमत के नेता केविन मैकार्थी ने कहा, ‘मेरे सहयोगी इस विधेयक को साहसिक कदम बता रहे हैं, लेकिन यह महज दिखावटी है। बिना किसी जवाबदेही के धनराशि का आवंटन किया गया है।’ प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी ने कहा, ‘अमेरिकी लोगों को यह जानना होगा कि उनकी सरकार उनकी परवाह करती है। एक बार कानून बनने के बाद न्यूनतम वेतन में भी बढ़ोतरी होगी।’
बन जाएगा कानून
सीनेट से पारित होने के बाद यह बिल कानून की शक्ल अख्तियार कर लेगा। हालांकि सीनेट में रिपब्लिकन और डेमोक्रेट दोनों के ही 50-50 सदस्य हैं। अगर मतदान के दौरान फैसला टाई होता है तो सीनेट की नेता और उपराष्ट्रपति कमला हैरिस का वोट निर्णायक होगा।
प्रत्येक अमेरिकी को मिलेगी 1,400 डॉलर की सीधी मदद
कोरोना राहत बिल के तहत प्रत्येक अमेरिकी को 1,400 डॉलर (करीब एक लाख भारतीय रुपये) की सीधी मदद दी जाएगी। इसके अलावा पिछले वर्ष 29 अगस्त से संघीय बेरोजगारी भत्ते के तौर पर चार सौ डॉलर प्रति सप्ताह के हिसाब से और भुगतान किया जाएगा। जो लोग महामारी के दौरान घर का किराया और बैंक की ईएमआइ नहीं दे पाए हैं, उन्हें भी वित्तीय मदद दी जाएगी।
1.8 करोड़ अमेरिकी बेरोजगार
बता दें कि महामारी के चलते 1.8 करोड़ अमेरिकी बेरोजगारी बीमा पर आश्रित हो गए हैं और चार लाख छोटे व्यापार बंद हो गए हैं। कम से कम 1.4 करोड़ लोग घर का किराया नहीं दे पाए हैं जिससे उनके सिर पर से छत हटने का खतरा मंडरा रहा है।
न्यूनतम मजदूरी बढ़ाने वाले बिल का लटकना तय
सीनेट से कोरोना राहत बिल भले ही पास हो जाए, लेकिन न्यूनतम वेतन को लेकर दोनों पार्टियों में एकराय नहीं बन सकी है। दरअसल, प्रतिनिधि सभा ने प्रति घंटे न्यूनतम मजदूरी को 7.25 डॉलर से बढ़ाकर 15 डॉलर करने का बिल पास किया था, लेकिन सीनेट के विधायी मामलों के विशेषज्ञों के मुताबिक चूंकि बिल को विशेष दर्जा नहीं मिला है, इसलिए इसे पारित कराने के लिए दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होगी। कुछ सीनेटर न्यूनतम मजदूरी में 10 से 12 डॉलर बढ़ाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन डेमोक्रेटिक पार्टी के सांसदों का कहना है कि जो भी कारपोरेट घराने 15 डॉलर की न्यूनतम मजदूरी नहीं देते हैं उन पर पेनाल्टी लगाई जाए।