देश की सर्वोच्च न्यायिक व्यवस्था को लेकर दिए गए बयान पर पूर्व प्रधान न्यायाधीश (सीजेआइ) और राज्यसभा सदस्य रंजन गोगोई के खिलाफ आपराधिक अवमानना का मामला चलाने की कोशिश की गई थी। परंतु, देश के अटॉर्नी जनरल (एजी) केके वेणुगोपाल ने इसकी मंजूरी नहीं दी थी। एक्टिविस्ट साकेत गोखले ने गोगोई के खिलाफ अवमानना का मामला चलाने के लिए वेणुगोपाल की मंजूरी मांगी थी। पूर्व सीजेआइ ने एक कार्यक्रम में कथित रूप से कहा था कि न्यायपालिका जीर्ण हो गई है और किसी भी व्यक्ति को समय पर न्याय मिलने की संभावना बहुत कम है।

अवमानना का मामला चलाने की अनुमति देने से इन्कार करते हुए गोखले को भेजे पत्र में वेणुगोपाल ने कहा कि मैंने पूरा साक्षात्कार देखा है। उसमें सब कुछ अच्छा कहा गया है और ऐसा कुछ भी नहीं है जो कानून की नजर में अदालत की निंदा हो या उसके अधिकारों को कम करता हो। उन्होंने आगे कहा कि यद्यपि पूर्व सीजेआइ का बयान कठोर था, लेकिन उससे न्यायपालिका की बीमारी के प्रति उनके विचारों का पता चलता है।

गोखले ने अपनी याचिका में पूर्व सीजेआइ के उस बयान का जिक्र किया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि आप पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था की बात करते हैं, लेकिन आपके यहां जीर्ण न्यायपालिका है। अगर आप कोर्ट में जाएं तो आप पछताएंगे। आपको फैसला नहीं मिलेगा। मुझे यह कहने में किसी तरह का संकोच नहीं है। ‘ बता दें कि अदालत की अवमानना कानून के तहत अटॉर्नी जनरल की मंजूरी के बिना कोई आम व्यक्ति आपराधिक अवमानना का मामला नहीं दर्ज करा सकता।

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