ओटीटी कंटेंट को लेकर बढ़ती शिकायतों के मद्देनज़र केंद्र सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने कुछ गाइडलाइंस जारी की हैं, जिनका पालन ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को करना होगा। ओटीटी कंटेंट की सेंसरशिप के बारे में सरकार फ़िलहाल नहीं सोच रही है, लेकिन कंटेंट पर प्लेटफॉर्म्स को सेल्फ़ रेग्यूलराइज़ेशन यानी स्व-नियमन करना होगा।
गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने ओटीटी कंटेंट को लेकर बनायी गाइडलाइंस की जानकारी दी। जावड़ेकर ने कहा- प्रेस (प्रिंट) वालों को प्रेस काउंसिल ऑफ़ इंडिया के कोड का पालन करना पड़ता है। टीवी में काम करने वालों को प्रोग्राम कोड का पालन करना होता है, लेकिन डिजिटल मीडिया पोर्टल पर ऐसा कोई बंधन नहीं है। ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के लिए भी ऐसी कोई रोक नहीं है। सभी मीडिया प्लेटफॉर्म के लिए समान नियम होने चाहिए। सभी को एक प्रक्रिया बनानी होगी।
दोनों सदनों में पूछे गये 50 से अधिक सवाल
प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि इसको लेकर तमाम लोगों ने मांग की है। ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर दोनों सदन में 50 प्रश्न पूछे गये। देश में इसकी बहुत चर्चा हो रही है। हमने दिल्ली, चेन्नई और मुंबई में विभिन्न ओटीटी प्लेटफॉर्म के अधिकारियों के साथ चर्चा की। दिल्ली में दो मीटिंग बुलाई गयीं। पहली मीटिंग में ओटीटी के स्व-नियमन के लिए कहा। मगर नहीं हुआ। दूसरी मीटिंग में फिर 100 दिनों में सेल्फ़ रेग्युलेट करने के लिए प्रक्रिया बनाने के लिए कहा, मगर नहीं बनायी गयी। फिर तय किया कि सभी मीडिया की संस्थागत प्रक्रिया होना चाहिए।
ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के लिए तीन स्तरीय नियमन प्रक्रिया
प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को तीन स्तर की नियमन प्रक्रिया तय करनी होगी- पहले स्तर पर प्लेटफॉर्म को सेल्फ रेग्युलेट करना होगा। दूसरे स्तर पर प्लेटफॉर्म की सेल्फ रेग्युलेटरी बॉडी कंटेंट का नियमन करेगी। तीसरे स्तर पर ओवर साइट मैकेनिज़्म होगा।
1. ओटीटी प्लेटफॉर्म्स और डिजिटल मीडिया के लिए रजिस्ट्रेशन ज़रूरी नहीं है, लेकिन अपनी अपनी सारी जानकारी सार्वजनिक करनी होंगी।
2. ग्रीवांस एड्रेसल सिस्टम- ओटीटी और डिजिटल पोर्टल्स को शिकायतों को सुनने और उनके तत्काल निस्तारण की व्यवस्था करनी होगी। सेल्फ रेग्यूलराज़ेशन करना होगा। शिकायतों के लिए एक बॉडी बनानी होगी, जिसकी अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के रिटायर जज करेंगे। इन प्लेटफॉर्म्स को टीवी की तरह एक प्रक्रिया बनानी होगी, जिससे टीवी की तरह माफ़ी मांगने की व्यवस्था हो। वैसा ही ओटीटी पर होना चाहिए।
3. कंटेंट का सेल्फ़ क्लासिफिकेशन- कंटेंट का उम्र के हिसाब से पांच केटेगरी में सेल्फ़ क्लासिफिकेशन करना होगा- U (यूनिवर्सल), U/A 7+, U/A 13+, U/A 16+ और A (वयस्क)। 13 प्लस, 16 प्लस और एडल्ट। वर्गीकृत कंटेंट के लिए प्लेटफॉर्म्स को पैरेंटल लॉक की व्यवस्था करनी होगी। एडल्ट केटेगरी के लिए उम्र के सत्यापन की व्यवस्था भी करनी होगी।
जो एथिक्स कोड सेंसर बोर्ड का है, वो यहां भी पालन करना होगा। ओटीटी कंटेंट और प्लेटफॉर्म्स पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय नज़र रखेगा।
ओटीटी कंटेंट को लेकर लगातार हो रहे विवाद
देश में पिछले कुछ वक़्त से ओटीटी कंटेंट लगातार विवादों में घिरते रहे हैं। अमेज़न प्राइम की वेब सीरीज़ तांडव पर आपत्तिजनक कंटेंट दिखाये जाने के आरापों को लेकर ख़ूब हंगामा हुआ। पुलिस शिकायतें दर्ज़ हुईं और मामला कोर्ट तक पहुंचा। मिर्ज़ापुर वेब सीरीज़ को लेकर भी शिकायतें हुई हैं। नेटफ्लिक्स पर आयी अनिल कपूर और अनुराग कश्यप की फ़िल्म एके वर्सेज़ एके भी विवादों में फंसी थी। इसमें भारतीय वायु सेना की वर्दी ग़लत ढंग से पहनने पर एयरफोर्स ने आपत्ति जताई थी, जिसके बाद अनिल कपूर ने माफ़ी मांगते हुए एक वीडियो जारी किया था।
सेक्रेड गेम्स के एक दृश्य को लेकर भी एक विवाद हुआ था, जिस पर सिख समुदाय ने आपत्ति जतायी थी। एमएक्स प्लेयर पर आयी प्रकाश झा की वेब सीरीज़ आश्रम में हिंदू संतों के ग़लत चित्रण के आरोप लगाते हुए पुलिस शिकायतें हुईं। इस सीरीज़ में बॉबी देओल ने लीड रोल निभाया। अनुष्का शर्मा निर्मित वेब सीरीज़ पाताल लोक भी कुछ दृश्यों को लेकर विवादों में रही थी। इसके अलावा ओटीटी कंटेंट में गाली-गलौज और कामुक दृश्यों की अतिरेकता पर अक्सर सोशल मीडिया में बहस छिड़ती रही है।