8 दिसंबर को भारत बंद के लिए किसानों के साथ तमाम विपक्षी दल आए हैं। इसके लिए उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी ट्वीट कर समर्थन किया और केंद्र से किसानों के मांग को मानने की अपील की है।
पिछले 11 दिनों से कृषि विधेयक के खिलाफ जारी किसानों के आंदोलन का सोमवार को 12वां दिन है। यह आंदोलन व्यापक रूप लेता जा रहा है। इस क्रम में मंगलवार, 8 दिसंबर को किसानों ने भारत बंद का ऐलान किया है जिसे विपक्षी पार्टियों का पूरा समर्थन प्राप्त है। इसमें उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बसमा सुप्रीमो मायावती का नाम भी शामिल है। इसके अलावा दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन करने वाले किसानों से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी आज मुलाकात करेंगे। इसके लिए वे सिंघु बॉर्डर जाएंगे।
वहीं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े भारतीय किसान संघ ने आंदोलनकारी किसानों द्वारा बुलाए गए 8 दिसंबर को भारत बंद से दूरी बना ली है। इसके पीछे भारतीय किसान संघ की ओर से इसमें शामिल राजनीतिक पार्टियों को कारण बताया गया है। भारतीय किसान संघ का कहना है कि किसान संगठनों को लोकतांत्रिक तरीके से अपनी बात सरकार के सामने रखनी चाहिए।
केजरीवाल का समर्थन
किसानों द्वारा बुलाए गए 8 दिसंबर के भारत बंद को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी समर्थन दिया है। आज सिंघु बॉर्डर पहुंच वे किसानों के लिए वहां की गई व्यवस्था व सुविधाओं का जायजा लेंगे।
मायावती ने ट्वीट कर जताया अपना समर्थन
किसान नेता बलदेव सिंह यादव ने कहा, ‘यह आंदोलन केवल पंजाब के किसानों का नहीं है, बल्कि पूरे देश का है। हम अपने आंदोलन को मजबूत करने जा रहे हैं और यह पहले ही पूरे देश में फैल चुका है।’ उन्होंने सभी से बंद को शांतिपूर्ण बनाना सुनिश्चित करने की अपील करते हुए कहा, ‘चूंकि सरकार हमारे साथ ठीक से व्यवहार नहीं कर रही थी, इसलिए हमने भारत बंद का आह्वान किया।’ मायावती ने इस संबंध में ट्वीट किया और कहा, ‘तीनों कृषि कानूनों की वापसी को लेकर देश भर में किसान आंदोलन कर रहे हैं। इस क्रम में उन्होंने 8 दिसंबर को ‘भारत बंद’ का आह्वान किया है, इस बंद के लिए बसपा अपना समर्थन देती है और केंद्र से किसानों की मांगों को मानने की भी फिर अपील है।’
9 दिसंबर को केंद्र-किसानों की छठे दौर की वार्ता
दरअसल, शनिवार को केंद्र व किसानों के बीच पांचवे दौर की वार्ता असफल रही। किसानों को सरकार की ओर से विधेयक में संशोधन का भी प्रस्ताव दिया गया लेकिन वे मानने को तैयार नहीं हुए। किसान इन विधेयकों की पूरी तरह वापसी चाहते हैं। अब 9 दिसंबर , गुरुवार को केंद्र और किसानों के बीच जारी गतिरोध खत्म करने के लिए छठे दौर की वार्ता होने वाली है।