Inspiring Story: हमारे जीवन में कई प्रकार की समस्याएं हैं। किसी को नौकरी नहीं मिल रही है, तो किसी का बिजनेस नहीं चल रहा है। किसी की सेहत ठीक नहीं है, तो किसी के रिश्ते खराब चल रहे हैं। कोई मानसिक उलझनों से परेशान है तो कोई आर्थिक समस्याओं से। हर कोई इससे बाहर निकलने के लिए चिंतित है। आखिर इससे बाहर निकलने का तरीका क्या है? जागरण अध्यात्म में आज हम पढ़ते हैं एक प्रेरक कथा, जो शायद आपकी मुश्किल को आसान कर दे।
एक व्यक्ति काफी लंबे समय के अंतराल के बाद अपने मित्र के घर गया। उसका मित्र अपने जीवन की रोजमर्रा की समस्याओं से काफी विचलित था। अपने मित्र को पास देखकर के उसने अपनी व्यथा कहने का निर्णय लिया। वह उसके समक्ष अपनी समस्याओं का पिटारा खोल कर बैठ गया- घरेलू समस्या, आर्थिक समस्या.. और भी न जाने कितनी समस्याएं उसे बता डालीं।
उसका मित्र धैर्यपूर्वक अपने दोस्त की बातों को सुनता रहा। फिर अंत में उसने बोला- ‘मुझे पानी नहीं पिलाओगे क्या?’ यह बात सुनकर उसका मित्र थोड़ा झेंप गया। मित्र ने तुरंत एक गिलास में ठंडा पानी भरकर दे दिया। पानी पीने के बाद उस व्यक्ति ने अपने मित्र की मदद करने की सोची।
उसने मित्र से कहा, ‘अगर मैं पंद्रह मिनट तक इस गिलास को हाथ में ही पकड़े रहूं, तो क्या होगा?’ वह व्यक्ति बोला, ‘पकड़े रहो, कुछ नहीं होगा।’ उसने कहा, ‘अगर मैं दो घंटे गिलास को पकड़े रहूं तो..?’ तब उसने कहा, ‘तुम्हारे हाथ में दर्द शुरू हो जाएगा’
इस पर मित्र बोला। ‘अच्छा..अगर मैं पूरे सात घंटे गिलास को यूं ही उठाए रहूं तो..?’ ‘तुम्हारे हाथ का रक्त प्रवाह रुक जाएगा और दर्द बहुत बढ़ जाएगा..।’ मित्र बोला।’दर्द दूर करने के लिए मैं क्या करूं?”गिलास को रख दो’- मित्र बोला।
इस पर अब वह व्यक्ति बोला, ‘तुम भी तो अपनी समस्याओं का बोझ उठाए घूम रहे हो, तुम भी उन्हें रख दो।’ इन समस्याओं को मन में रखने से काम नहीं चलने वाला। सिर्फ चिंता ही किया जाएगा या फिर उसका समाधान क्या हो सकता है, उस दिशा में काम किया जाएगा। चिंता करने से सिर्फ समय और सेहत का नुकसान होगा, और कुछ नहीं।
कथा का सार
समस्याएं सब के पास होती हैं। यह आप पर है कि आप उन्हें उठाए घूमते हैं या उनका समाधान निकालते हैं।
डिसक्लेमर : ‘इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है