मोदी की अपील के बाद किसान नेता बोले

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आंदोलन खत्‍म करने की अपील और बातचीत के लिए निमंत्रण देने के बाद किसान संगठनों ने कहा है कि सरकार बातचीत के अगले दौर की तारीख तय करे। हालांकि नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान नेताओं ने राज्यसभा में प्रधानमंत्री मोदी की उस टिप्पणी पर आपत्ति जताई है जिसमें उन्‍होंने देश में आंदोलनजीवियों की एक नई जमात पैदा होने की बात कही है। किसान नेताओं का कहना है कि लोकतंत्र में आंदोलन की महत्वपूर्ण भूमिका है।

केंद्र सरकार बैठक तय करे

समाचार एजेंसी पीटीआइ के मुताबिक संयुक्त किसान मोर्चा के वरिष्ठ सदस्य किसान नेता शिव कुमार काका ने कहा कि हम अगले दौर की बातचीत के लिए तैयार हैं। केंद्र सरकार को बैठक की तारीख और समय बताना चाहिए। हमने बातचीत से कभी भी इनकार नहीं किया है। सरकार ने हमको जब भी बातचीत के लिए बुलाया है हमने बात की है। हम आगे भी सरकार के साथ बातचीत के लिए तैयार हैं।

दरअसल प्रधानमंत्री मोदी ने सोमवार को तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलनरत किसानों से अपना आंदोलन खत्‍म कर कृषि सुधारों को एक मौका देने की गुजारिश की। प्रधानमंत्री ने कहा कि हम आंदोलन से जुड़े लोगों से प्रार्थना करते हैं कि आंदोलन करना आपका हक है लेकिन बुजुर्ग भी वहां बैठे हैं… उन्‍हें घर ले जाइए, आंदोलन खत्म करिए। मौजूदा वक्‍त खेती को खुशहाल बनाने के लिए फैसले लेने का है। हमें इसको गंवाना नहीं चाहिए। हमें देश को पीछे नहीं ले जाना चाहिए।

सरकार कह चुकी है हम वार्ता को तैयार 

गौर करने वाली बात है कि रविवार को रेलमंत्री पीयूष गोयल ने कहा था कि सरकार किसान संगठनों के साथ बातचीत के लिए तैयार है। हालांकि उन्‍होंने यह भी कहा था कि किसान संगठन यदि कोई नया प्रस्ताव लेकर आते हैं तो सरकार फिर से बातचीत करेगी। वहीं केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि कृषि कानूनों को लेकर चल रहे किसान आंदोलन का समाधान जल्द ही निकल आएगा। सरकार किसानों संगठनों से लगातार बातचीत कर रही है… आगे भी चर्चा जारी रहेगी।

हो चुकी है 11 दौर की बातचीत

उल्‍लेखनीय है कि विवादास्पद कृषि कानूनों को लेकर 11 दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन इसका कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका है। नतीजतन गतिरोध भी बरकरार है। किसान संगठन नए कृषि कानूनों को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी की कानूनी गारंटी देने पर अड़े हुए हैं। सनद रहे पिछली बातचीत में सरकार ने कानूनों को 12 से 18 महीने तक निलंबित रखने की पेशकश की थी जिसे किसान संगठनों ने खारिज कर दिया