झारखंड के निर्दलीय विधायक सरयू राय के अनुसार पांच लाख टन कोयला गायब हो गया। प्रति टन इसकी कीमत करीब 8000 रुपये है। झारखंड और ओडिशा की ज्यादातर लौह अयस्क खदानें बंद पड़ी हैं।
नियम-कानून ताक पर रखकर शाह ब्रदर्स को लौह अयस्क उठाने देने के खनन सचिव के आदेश पर जो हो-हल्ला मचा है, उसके पीछे वाकई बड़े घोटाले की आशंका बलवती होती जा रही है। पूर्व मंत्री और निर्दलीय विधायक सरयू राय ने जो आरोप लगाए हैं अगर उनकी जांच हुई तो संभव है करीब 400 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आ जाए। पूर्व मंत्री के साथ-साथ विपक्ष के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी, गठबंधन में सहयोगी कांग्रेस के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा भी इसे बड़ा घोटाला करार दे चुके हैं।
जांच की मांग कर शाह ब्रदर्स से धन वसूलने की बात कह रहे हैं। फिलहाल सरकार इस पर चुप्पी साधे हुए है। खनन विभाग के अधिकारी भी मुंह खोलने को तैयार नहीं हैं, लेकिन इस मामले को जितना दबाने की कोशिश की जा रही है वह और तूल ही पकड़ता जा रहा है। पुरानी कहावत है- गर्म हो लोहा, तो मार दो हथौड़ा। कथित तौर पर इसी कहावत को चरितार्थ किया है शाह ब्रदर्स ने। कोरोना संक्रमण काल से निकलकर व्यापार के जिन क्षेत्रों ने सबसे तेज रफ्तार पकड़ी है, उसमें लौह अयस्क सबसे आगे है।
इसका एक अहम कारण यह भी है कि पिछले एक वर्ष में झारखंड और ओडिशा की कई खदानें बंद पड़ी हैं। कई में तात्कालिक तौर पर खनन बंद है। ऐसे में आपूर्ति और मांग का अनुपात गड़बड़ाया, जिससे इनकी कीमतों में बेतहाशा वृद्धि हुई है। कुछ इलाकों में तो दो गुना से लेकर तीन गुना तक इनकी कीमतें बढ़ी हैं। वैश्विक बाजार में भी लौह अयस्क की कीमतों में सात से 15 फीसद तक बढ़ोतरी हुई है। मार्च-अप्रैल में तीन से चार रुपये प्रति टन बिकने वाला लौह अयस्क वर्तमान में सात से 10000 रुपये प्रति टन की दर से बिक रहा है। दरों में थोड़ा-बहुत अंतर भी है। जैसा उत्पाद वैसी कीमत।
कैसे हुआ है खेल
विधायक सरयू राय के स्तर से जो आरोप लगाए गए हैं उसके अनुसार जब शाह ब्रदर्स की 2019 में ही लीज रद हो गई थी तो भंडारित लौह अयस्क पर कंपनी का कोई हक नहीं था। जो स्टॉक बचा था, वह राज्य सरकार की संपत्ति थी। पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा आरोप लगाते हैं कि जब सितंबर में शाह ब्रदर्स ने खान विभाग को रिपोर्ट फाइल की थी तो बताया था कि उनके पास 3.60 लाख टन स्टाक बचा है, जबकि उन्हें अनुमति 5.70 लाख टन लौह अयस्क बेचने की दी गई।
इसी से पता चलता है कि कैसे-कैसे घोटाला किया गया है। पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी भी सवाल उठा रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि मामला तब खुला है जब भंडारित लौह अयस्क बिक गया है। बकौल सरयू राय वर्णित जगह पर लौह अयस्क का मामूली स्टॉक उपलब्ध है। इस लिहाज से कम से कम पांच लाख टन लौह अयस्क कम है।
ऐसे समझिए गणित
बाजार में अभी करीब साढ़े सात हजार से आठ हजार रुपये प्रति टन कोयला बिक रहा है। अगर पांच लाख टन कोयला गायब हुआ तो इसकी कीमत (5,00,000 टन गुणा 8000 रुपये प्रति टन) करीब 400 करोड़ रुपये होती है।