संबंधों में खाई नहीं, पुल बनाएं, पढ़ें यह प्रेरक कथा

आजकल के जीवन में स्वयं की प्राथमिकता ज्यादा हो गई। हम स्वयं को दूसरों से पहले रखकर सबकुछ सोचने लगते हैं। स्वयं के चक्कर में कई बार हम दूसरे को नीचा दिखाने लगते हैं या फिर गुस्से में छोटी-छोटी बातों पर मुंह फेर लेते हैं।

आजकल के जीवन में स्वयं की प्राथमिकता ज्यादा हो गई। हम स्वयं को दूसरों से पहले रखकर सबकुछ सोचने लगते हैं। स्वयं के चक्कर में कई बार हम दूसरे को नीचा दिखाने लगते हैं या फिर गुस्से में छोटी-छोटी बातों पर मुंह फेर लेते हैं। छोटी-छोटी बातों से संबंधों में दरार पैदा हो जाती है। हमलोगों को छोटी बातों को नजरअंदाज कर देना चाहिए क्योंकि व्यक्ति के संबंध महत्वपूर्ण होते हैं। जागरण अध्यात्म में आज आपको एक प्रेरक कथा के बारे में बताते हैं, जिसे पढ़कर आप संबंधों के महत्व को समझ सकते हैं।

एक गांव में दो भाई रहते थे। वे दोनों मिलकर खेती किया करते थे। उनकी मेहनत से फसलों की पैदावार अच्छी होती थी, जिससे उन दोनों की अच्छी आमदनी हो जाती थी। उस आमदनी को वे दोनों भाई आपस में बांट लिया करते थे। एक दिन दोनों भाइयों में एक किसी छोटी-सी बात पर झगड़ा हो गया।

गुस्से में आकर बड़े भाई ने आधा खेत अपने कब्जे में कर लिया और बीच में खाई खुदवा दी, ताकि छोटा भाई उसके खेत में न आ सके। यह देखकर छोटे भाई ने भी तुरंत एक बढ़ई को बुलाया और कहा, मेरे खेत के किनारे लकड़ी की ऊंची-ऊंची बाड़ लगा दो, ताकि मुझे बड़े भाई की शक्ल भी न दिखाई दे।

बढ़ई बोला- कल सुबह तक काम पूरा हो जाएगा। बढ़ई को दोनों भाइयों के बारे में पता चला। फिर उसके दिमाग में एक विचार आया। उसने दोनों भाइयों के बीच की खाई को पाटने के लिए एक तरकीब निकाली। अगली सुबह जब छोटा भाई अपने खेत में गया, तो देखा कि वहां बाड़ की जगह खाई पर लकड़ी का एक पुल बना हुआ था। यह देखकर वह गुस्सा हो गया।

वह बढ़ई को डांटने ही वाला था कि उस जगह पर उसका बड़ा भाई भी आ गया। उसकी आंखों में पश्चाताप के आंसू थे। वह बोला, भाई, मैंने तुम्हारे साथ कितना अलगाव किया, संबंध तोड़ लेने के प्रयास किए, लेकिन तुमने इतना कुछ हो जाने के बाद भी मुझसे रिश्ता खत्म नहीं किया और संबंधों को जोड़े रखने के लिए पुल बनवा दिया।

बड़े भाई ने संकल्प के साथ कहा कि दोनों भाइयों के बीच आई इस खाई को अब हम पाट देंगे और फिर से साथ मिलकर खेती करेंगे। बढ़ई की समझदारी से दोनों भाइयों के बीच संबंध सुधर गए और फिर वे मेहनत करके अच्छी पैदावार पाने लगे।

कथा का सार

नासमझी में आकर हम संबंधों में कड़वाहट पैदा कर लेते हैं, जिसे थोड़ी-सी समझदारी से दूर किया जा सकता है और आपस में प्रेम और सहयोगभाव से रहा जा सकता है।