नासा का मार्स रोवर परसिवरेंस करीब 40 लाख किमी की यात्रा करने के बाद अब मार्स पर उतरने के करीब है। गुरुवार 18 फरवरी 2021 को ये मार्स की सतह पर उतरेगा, जिसके लिए अमेरिकी स्पेस एजेंसी के वैज्ञानिक काफी उत्साहित हैं। इसकी रोवर की सही लैंडिंग ही ये तय करेगी कि वहां पर आगे के शोध कैसे होंगे। आपको बता दें कि मंगल पर उतरने वाला नासा का ये पांचवां रोवर है। इस रोवर को अमेरिका के स्थानीय समयानुसार शाम 3:55 (3:55 p.m. EST (12:55 p.m. PST Feb. 18, 2021) बजे जेजीरो क्रेटर में उतरना है।
नासा के मुताबिक जेट प्रपल्शन लैब के वैज्ञानिक पर इस निगाह बनाए हुए हैं और फिलहाल सबकुछ ठीक है। हालांकि उन्होंने माना कि इसकी लैंडिंग जितना सोचा है उससे कहीं अधिक चैलेंजिंग होगी। नासा का कहना है कि ये उनका अब तक का सबसे महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है। नासा हैडक्वार्टर के वैज्ञानिक थॉमस जुर्बुकेन के मुताबिक ये रोवर मंगल पर जीवन की खोज करेगा।
वैज्ञानिकों का मानना है कि जहां पर ये रोवर लैंड करने वाला है वहां पर कभी एक नदी बहती थी और यहां पर एक झील थी। इसकी वजह से यहां पर डेल्टा का निर्माण हुआ था। अरबों वर्ष पहले यहां पर जीवन रहा होगा। लेकिन इस क्रेटर में कई चट्टानें बेहद खड़ी हैं और रेत के टीले मौजूद हैं। यहां पर बड़े-बड़े पत्थर भी मौजूद हैं। इसलिए यहां पर लैंडिंग बेहद मुश्किल है। मंगल पर लैंडिंग के अब तक केवल 50 फीसद प्रयास ही सफल हुए हैं। यहां की भौगोलिक संरचना काफी जटिल है। परसिवरेंस की टीम ने यूं तो अपने पुराने अभ्यासों से काफी कुछ चीजें सीख ली हैं और अब तकनीक भी उनका साथ दे रही है। तकनीक के जरिए आज वो इस स्पेसक्राफ्ट को काफी हद तक सफलतापूर्वक लैंड कराने की योग्यता रखते हैं।
इस प्रोजेक्ट के डिप्टी प्रोजेक्ट मैनेजर जेरिफर ट्रॉसपर का कहना है कि टीम इसकी इस क्रेटर में लैंडिंग को लेकर पूरी तरह से सजग है और तैयार भी है। हालांकि उन्होंने ये भी सफ कर दिया है कि इसके सफलतापूर्वक लैंड करने की कोई गारंटी नहीं है। लेकिन टीम अपनी तरफ से कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रही है। इसके सही सलामत उतरने के बाद ही ये अपना काम भी शुरू कर देगा।
आपको यहां पर ये भी बता दें कि इस यान की लैंडिंग की जगह का चुनाव दुनियाभर के वैज्ञानिकों ने मिलकर किया है। इस दौरान विशेषज्ञों ने मंगल पर इसकी लैंडिंग के लिए 60 जगहों का चयन किया था। पांच वर्षों तक इन सभी के विश्लेषण के बाद इस क्रेटर पर मुहर लगी। वैज्ञानिकों का मानना है कि यहां पर वर्षों पहले बनी झील और नदी की मौजूदगी से यहां पर खनिज मौजूद हो सकते हैं। साथ ही यहां पर बेहद सूक्ष्म रूप में जीवन होने की संभावनाएं हैं। ये क्रेटर करीब 45 मीटर चौड़ा है और इसिडिस प्लेनिशिया के पश्चिम में स्थित है। माना जाता है कि इसिडिस प्लेनिशिया का निर्माण उल्कापिंड की टक्कर के बाद हुआ था। ये जगह क्यूरोसिटी से करीब 3700 किमी की दूरी पर स्थित है। वैज्ञानिकों का मानना है कि ये जीवन के लिए एक उत्तम जगह हो सकती है।