महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी शिवसेना को रास नहीं आ रहे हैं। शिवसेना नेता संजय राउत का कहना है कि राज्यपाल के साथ महाअघाड़ी सरकार की खुली जंग चल रही है। उन्होंने राज्यपाल पर भाजपा के इशारे पर काम करने का आरोप भी लगाया है। हाल ही में चमोली हादसे के बाद राज्यपाल अपने गृहराज्य उत्तराखंड जाने वाले थे। लेकिन राज्य सरकार ने उन्हें सरकारी विमान के उपयोग की अनुमति देने से इनकार कर दिया था। हालांकि राज्यपाल को एक सरकारी कार्यक्रम में ही शामिल होने के लिए इस विमान की आवश्यकता थी। उन्हें मसूरी स्थित लालबहादुर शास्त्री नेशनल एडमिनिस्ट्रेशन अकादमी में प्रोन्नत आइएएस अधिकारियों के इंडक्शन ट्रेनिंग कार्यक्रम में समापन समारोह में शामिल होना था।
यह अकादमी भी सरकारी है और यह कार्यक्रम भी सरकारी ही था। राज्यपाल कार्यालय की ओर से इस यात्रा की सूचना भी 10 दिन पहले ही संबंधित विभाग को दे दी गई थी। इसके बावजूद राज्यपाल के विमानतल पहुंचकर विमान में सवार हो जाने के बाद भी विमान उड़ाने की अनुमति नहीं दी गई और राज्यपाल को विमान से नीचे उतरना पड़ा। जानकार सूत्रों का कहना है कि जब किसी राज्य के लिए विमान या हेलीकॉप्टर की खरीद की जाती है तो उसके शासनादेश की शुरुआत ही राज्यपाल व मुख्यमंत्री से होती है। यानी राज्यपाल का नाम पहले लिखा जाता है और मुख्यमंत्री का बाद में। सामान्य शिष्टाचार में भी यदि राज्यपाल व मुख्यमंत्री को एक ही दिन, एक ही समय पर विमान के उपयोग की स्थिति पैदा हो तो विमान राज्यपाल को ही देने की परंपरा रही है। इसके बावजूद उद्धव सरकार द्वारा राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी को विमान इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं दी गई।
अब शिवसेना के राज्यसभा सदस्य संजय राउत ने पत्रकारों से बात करते हुए स्पष्ट कर दिया कि राज्यपाल के साथ महाअघाड़ी सरकार की ‘कोल्ड वार’ नहीं बल्कि ‘खुली जंग’ चल रही है। क्योंकि राज्यपाल भाजपा के इशारे पर काम कर रहे हैं। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के साथ शिवसेना की अनबन वर्तमान सरकार के गठन से पहले ही तब शुरू हो गई थी, जब राज्यपाल ने रातोंरात राष्ट्रपति शासन खत्म करने की घोषणा कर देवेंद्र फड़नवीस को मुख्यमंत्री व अजीत पवार को उपमुख्यमंत्री पद की शपथ दिलवा दी थी।
इसके बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को विधान परिषद की एक सीट पर नामित करने में देर करने लगाने के कारण भी शिवसेना उनसे खफा हुई। पिछले कुछ माह से राज्यपाल कोटे की 12 विधानपरिषद सीटों के लिए महाविकास अघाड़ी सरकार द्वारा भेजी गई सिफारिश पर कोई निर्णय न करने से भी शिवसेना नाराज है। इसके अलावा राज्यपाल अक्सर ऐसे लोगों को मिलने का समय देते रहते हैं जो शिवसेना को फूटी आंखों नहीं सुहाते। अभिनेत्री कंगना रनोट व अभिनेता सोनू सूद ऐसी ही शख्सियतों में शामिल हैं। इससे शिवसेना को लगता है कि राज्यपाल निष्पक्ष रहने के बजाय भाजपा के इशारे पर काम कर रहे हैं। संभवतः यही कारण है कि संजय राउत राज्यपाल के साथ खुली जंग का एलान करते दिखाई दे रहे हैं।