हर माह के शुक्ल पक्ष कि चतुर्थी तिथि को गणेश जयंती या गणेश चतुर्थी मनाई जाती है। माघ माह में आने के चलते इसे माघी गणेश चतुर्थी भी कहा जाता है। साथ ही वरद चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। ज्योतिषों के अनुसार, इस वर्ष गणेश चतुर्थी पर रवि योग बन रहा है। मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन गणेश जी का जन्म हुआ था। ऐसे में इस दिन जो भक्त पूरे विधि-विधान के साथ पूजा और व्रत करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। हालांकि, इस दिन कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद आवश्यक हो जाता है। जागरण अध्यात्म के इस लेख में हम आपको इन्हीं बातों के बारे में बता रहे हैं।
गणेश जयंती के दिन इन बातों का रखें ख्याल:
- गणेश जयंती के दिन सुबह उठ जाना चाहिए और फिर स्नान-ध्यान कर बप्पा के व्रत का संकल्प लेना चाहिए।
- फिर दिन में जब पूजा का शुभ मुहूर्त हो तो एक पाटा लें और उस पर लाल कपड़ा बिछा दें। फिर गणेश जी की प्रतिमा या चित्र को उस पर स्थापित कर दें।
- इसके बाद प्रतिमा पर गंगाजल से छिड़काव करें। फिर गणपति बप्पा को प्रणाम करें।
- फिर सिंदूर लें और गणेश जी को तिलक लगाएं। इसके बाद धूप-दीप जलाएं।
- गणेश जी को मोदक, लड्डू, पुष्प, सिंदूर, जनेऊ और 21 दूर्वा चढ़ाएं। ये सभी उनकी प्रिय चीजें हैं।
- इसके बाद गणेश जी के साथ-साथ उनके समस्त परिवार की आरती करें। गणेश चालीसा और स्तुति का पाठ भी अवश्य करें।
- गणेश जी को चढ़ाए हुए लड्डूओं में से कुछ लड्डूओं को सबसे पहले ब्राह्मण को दें और फिर अन्य लोगों और परिवारजन में बांट दें।
आज है गणेश चतुर्थी, जानें किस मुहूर्त पर करें गणपति बप्पा की पूजा
गणेश चतुर्थी का शुभ मुहूर्त: गणेश पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 28 मिनट से शुरू होगा। यह दोपहर 1 बजकर 43 मिनट पर समाप्त होगा। इस दिन के लिए शुभ मुहूर्त 2 घंटे 14 मिनट रहेगा।
गणेश चतुर्थी का महत्व: ऐसा माना जाता है कि अगर भक्त इस तिथि पर उपवास रखते हैं तो उन्हें जीवन में सफलता अवश्य प्राप्त होती है। साथ ही गणेश भक्त बाधाओं से भी दूर रहते हैं। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, लोग पूर्णिमा के बाद चौथे दिन भगवान गणेश की पूजा करते हैं। ऐसा करने से उन्हें उनके जीवन में सफलता प्राप्त होती है। यही कारण है कि भगवान गणेश को विघ्नहर्ता के रूप में भी जाना जाता है। हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार, इस दिन भक्त भगवान गणेश को लाल कपड़ा, लाल फूल और लाल मिठाई अर्पित करते हैं।
मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा के दर्शन नहीं किए जाते हैं। यह अशुभ माना जाता है। क्योंकि इसी दिन भगवान गणेश ने चंद्र देव (चंद्रमा) को श्राप दिया था कि उन्हें इस दिन कोई नहीं देखेगा। अगर व्यक्ति ऐसा करता है तो माना जाता है कि वो कष्टों से गुजरता है। कहा जाता है कि चंद्रमा ने गणेश जी का मजाक उड़ाया था इसलिए उन्हें यह श्राप मिला था।
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