गुजरात में 2022 के विधानसभा चुनाव के दंगल से पहले स्थानीय निकाय चुनाव का रंग जमता नजर आ रहा है। यह चुनाव एआईएमआईएम तथा पाटीदार आरक्षण आंदोलन समिति के साए में और भी रोमांचक हो गए हैं। गुजरात पहुंचते ही जहां असदुद्दीन ओवैसी ने खुद को भारतीय राजनीति की लैला बताया वही पाटीदार नेताओं ने कांग्रेस को आंख दिखाते हुए दो टूक कहा की उनकी उपेक्षा महंगी पड़ेगी। अहमदाबाद, सूरत, वडोदरा, राजकोट, जामनगर, भावनगर महानगर पालिका के चुनाव के लिए भाजपा कांग्रेस आम आदमी पार्टी के अलावा सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लमीन के भारतीय ट्राइबल पार्टी के साथ गठबंधन हो जाने से आदिवासी तथा मुस्लिम मतदाता बहु सीटों पर कांग्रेस को कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।
ओवैसी ने गुजरात पहुंचते ही एआईएमआईएम को भाजपा की बी टीम बताने पर नाराजगी जताते हुए कहा कि मैं राजनीति की लैला हूं, पिछले 20 सालों में गुजरात में कांग्रेस लगातार हारती आ रही है जबकि हमारी पार्टी अब तक यहां चुनाव नहीं लड़ रही थी। ओवैसी ने भरूच तथा अहमदाबाद में चुनावी सभाओं को संबोधित करते हुए वर्ष 2002 में गुजरात में हुए दंगों की घटनाओं तथा 2006 में वडोदरा में याकूतपुरा दरगाह को तोड़े जाने की घटनाओं का जिक्र करते हुए अपनी ओर से की गई मेहरबानियां की भी याद दिलाई। ओवैसी ने कहा दंगों के बाद वे करीब 25 डॉक्टरों की टीम तथा 50 लाख रुपए की दवाई लेकर यहां पहुंचे थे।
अहमदाबाद तथा अन्य इलाकों में मेडिकल कैंप लगाकर उनकी टीम ने करीब 10000 लोगों की मदद की थी। भारतीय ट्राइबल पार्टी के नेता छोटू भाई वसावा भी अब भाजपा में कांग्रेस पर हमले तेज करते हुए कहा है कि दोनों ही दल एससी एसटी, ओबीसी तथा आदिवासियों के विरोधी हैं। वसावा ने कहा कि आदिवासियों को जल, जंगल, जमीन के अधिकार नहीं मिल रहे हैं उन्हें अपने ही घरों से निकाला जा रहा है। आम आदमी पार्टी ने भी इस बार स्थानीय निकाय चुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। सूरत तथा अहमदाबाद में पार्टी के सांसद संजय सिंह तथा दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया अपने अपने तरीके से मतदाताओं को लुभाने का प्रयास भी कर चुके हैं। करीब 5 साल पहले आरक्षण की मांग को लेकर बनी पाटीदार आरक्षण आंदोलन समिति ने 2015 में हुए स्थानीय निकाय चुनाव में कांग्रेस को सीधा फायदा कराया था।
सूरत की वराछा व आसपास के क्षेत्र की 28 सीट में से कांग्रेस 21 सीटें जीतने में कामयाब रही थी। इस बार भी कांग्रेस ने पाटीदार समिति के कुछ नेताओं को टिकट दिया जिनमें धर्मेंद्र मालवीय अल्पेश कथिरिया व उनके साथी शामिल हैं लेकिन उन्होंने टिकट बंटवारे में पाटीदारों की उपेक्षा को लेकर अपने एक दर्जन उम्मीदवारों को चुनाव नहीं लड़ने के लिए राजी कर लिया। कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष वह पाटीदार युवा नेता हार्दिक पटेल के पर कतरने के चक्कर में विधानसभा में नेता विपक्ष परेश धनानी तथा पूर्व केंद्रीय मंत्री भरत सिंह सोलंकी ने सूरत में अपने चहेतों को टिकट दिलवा दिए लेकिन इन सीटों पर पाटीदारों की मदद के बिना जीत मुश्किल है।