संसद में संग्राम: विपक्ष को भारी पड़ सकता है किसानों के मुद्दे पर संसद में गतिरोध लंबा खींचने का दांव

कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ लोकसभा में सियासी संग्राम को आगे जारी रखने का दाव विपक्ष को भारी पड़ सकता है। इस सियासी आशंका को भांपते हुए ही विपक्षी खेमे में शामिल कई क्षेत्रीय दल लोकसभा का गतिरोध खत्म कर किसानों के मुद्दे पर अपनी बात रखने के पक्ष में हैं। समझा जाता है कि इसके मद्देनजर ही विपक्षी खेमे के इन दलों ने कांग्रेस पर सदन का गतिरोध खत्म करने का दबाव बनाना शुरू कर दिया है।

संसद में संग्राम: लोकसभा का गतिरोध सोमवार को खत्म हो सकता है

विपक्षी खेमे के भीतर सियासी संग्राम को लेकर उभरे इन स्वरों को देखते हुए इस बात की संभावना जताई जा रही है कि लोकसभा का गतिरोध सोमवार को खत्म हो सकता है। कांग्रेस की सहयोगी कुछ पार्टियों के अलावा कृषि कानूनों को निरस्त करने की विपक्ष की मांग का समर्थन कर रहे अकाली दल, आम आदमी पार्टी आदि सरीखे दल भी बजट सत्र के पहले चरण में किसी न किसी रूप में किसानों के मुद्दे को उठाना चाहते हैं।

बजट सत्र के पहले चरण में बचे 5 दिन में धन्यवाद प्रस्ताव, बजट समेत कई  विधेयकों को पारित होना

सत्र के पहले चरण में अब केवल पांच कार्य दिवस बचे हैं और सरकार के लिए धन्यवाद प्रस्ताव के साथ बजट को पारित कराने की संवैधानिक अनिवार्यता है। कुछ अध्यादेशों की जगह लाए गए विधेयकों को भी इसी दौरान पारित कराया जाना है।

किसानों के मसले पर बहस लोकसभा में पहले चरण में नहीं होगी

ऐसे में विपक्षी खेमे को साफ लग रहा कि किसानों के मसले पर लोकसभा में अलग से विशेष चर्चा सत्र के पहले चरण में नहीं होगी। ऐसे में धन्यवाद प्रस्ताव और बजट पर बहस के दौरान विपक्ष किसानों के सवालों को लेकर सरकार पर वार करने के मौके के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। वैसे भी सरकार सत्र के दूसरे चरण में किसानों के मुद्दे पर बहस का प्रस्ताव विपक्ष को दे चुकी है। विपक्षी खेमे के दलों के अलावा पंजाब से कांग्रेस के सांसद भी सदन में अपनी बात रखने का मौका गंवाने की आशंका को लेकर अंदरखाने बेचैन हो रहे हैं।

लोकसभा में कामकाज बाधित, सरकार धन्यवाद प्रस्ताव को बिना चर्चा के ही पारित कर सकती है

सरकार ने विपक्षी खेमे को पहले ही संकेत दे दिया है कि लोकसभा में हंगामे और नारेबाजी के चलते कामकाज बाधित रहा तो धन्यवाद प्रस्ताव को बिना चर्चा के पारित कराने का आखिरी विकल्प उसे अपनाना पड़ेगा। जाहिर तौर पर इसमें नुकसान विपक्ष को होगा क्योंकि किसानों के अलावा तमाम मुद्दों पर सरकार को लोकसभा में घेरने का मौका उसके हाथ से निकल जाएगा।

कांग्रेस का एक खेमा बहस कराए जाने के पक्ष में है

कांग्रेस के अंदर भी एक खेमा इस आशंका को देखते हुए बहस कराए जाने के पक्ष में है। खासकर तब जब राज्यसभा में इसी मुद्दे पर दूसरे दिन ही गतिरोध खत्म हो गया और धन्यवाद प्रस्ताव की चर्चा पूरी हो चुकी है। राज्यसभा में विपक्षी नेताओं ने कृषि सुधार कानूनों को लेकर सरकार की घेरेबंदी करने में कोई कसर नहीं छोड़ी और इसे देखते हुए ही कांग्रेस नेतृत्व पर लोकसभा में गतिरोध तोड़ने का दबाव बढ़ गया है और इसीलिए सोमवार से सदन में हंगामे का दौर थमने की उम्मीद की जा रही है।