सुप्रीम कोर्ट ने कॉमेडियन मुनव्वर फारुकी को धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप में इंदौर में दर्ज मामले में अंतरिम जमानत दे दी हैं। जस्टिस आरएफ नरीमन की अध्यक्षता वाली पीठ ने उनकी याचिका पर मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है। मामले में उन्हें जमानत न देने के हाईकोर्ट के आदेश को इस याचिका में चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने इसके अलावा इसी मामले में उनके खिलाफ उत्तर में जारी प्रोडक्शन वारंट पर रोक लगा दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, दिल्ली की सरकारों को भी नोटिस जारी किया। सुनवाई के दौरान, बेंच ने कहा कि गिरफ्तारी के दौरान धारा 41 सीआरपीसी (बिना वारंट के गिरफ्तारी) की प्रक्रिया का पालन नहीं हुआ। फारुकी के वकील सौरभ कृपाल ने खंडपीठ को बताया कि यह प्रताड़ित करने का मामला है। फारुकी ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष जमानत, एफआइआर रद करने और अलग-अलग राज्यों में दर्ज मामलों को एक जगह ट्रांसफर करने के लिए रिट याचिका दायर की थी। इसके अलावा हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील दायर की थी। मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और दिल्ली की सरकारों को मामले में पक्षकार बनाया है।
फारुकी और चार अन्य लोगों को एक भाजपा विधायक के बेटे की शिकायत के बाद एक जनवरी को गिरफ्तार किया गया था। आरोप लगाया गया कि इन्होंने नए साल के दिन इंदौर में एक कैफे में एक कॉमेडी शो के दौरान हिंदू देवताओं और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। एक और व्यक्ति को बाद में गिरफ्तार किया गया था। हाई कोर्ट ने 28 जनवरी को दिए अपने आदेश में यह कहते हुए जमानत देने से इन्कार कर दिया था कि ‘सद्भाव को बढ़ावा देना’ संवैधानिक कर्तव्य है। वह न्यायिक हिरासत में हैं और इंदौर सेंट्रल जेल में बंद हैं। एक मजिस्ट्रेट की अदालत और एक सत्र अदालत ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद उन्होंने उच्च न्यायालय का रुख किया था।