भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत इंटरनेट मीडिया पर छाए हुए हैं। कोई उनके हक में बोल रहा है तो कोई उनके खिलाफ। दरअसल, पिछले 24 घंटे के दौरान घटनाक्रम ऐसे घटे कि किसान आंदोलन का केंद्र यूपी गेट (गाजीपुर बॉर्डर) हो गया है। इसी के साथ भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत लाइम लाइट में आ गए हैं। आइये जानते हैं कि कौन हैं किसान नेता राकेश टिकेत, जिनकी एक आवाज पर किसान जीने-मरने पर उतारू हो जाते हैं। मुजफ्फरनगर जनपद के सिसौली गांव में 4 जून 1969 में जन्मे राकेश टिकैत भारतीय किसान यूनियन के मुखिया हैं।

44 बार जा चुके हैं जेल

देश के जाने-माने किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत के बेटे राकेश टिकैत कई दशकों से किसानों के  हकों की लड़ाई के लिए सक्रिय हैं। वह लगातार विभिन्न मंचों पर किसानों के अधिकार की बातें उठा चुके हैं। बताया जाता है कि किसानों के अधिकार की लड़ाई के चलते राकेश टिकैत 44 बार जेल जा चुके हैं। मिली जानकारी के मुताबिक, मध्य प्रदेश में भूमि अधिकरण कानून के खिलाफ हुए आंदोलन के चलते राकेश टिकैत को 39 दिनों तक जेल में रहना पड़ा था। कुछ साल पहले दिल्ली में संसद भवन के बाहर किसानों के गन्ना मूल्य बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया तो उन्हें तिहाड़ जेल भेज दिया गया था। दरअसल, राकेश टिकैत ने संसद भवन के बाहर गन्ना जला दिया था।

लोकसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं राकेश टिकैत

राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष अजीत सिंह ने वर्ष 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की अमरोहा सीट से राकेश टिकैत को लोकसभा प्रत्याशी बनाया था। यह अलग बात है कि उन्हें हार मिली। राकेश टिकैत ने मेरठ यूनिवर्सिटी से एमए की पढ़ाई करने के बाद एलएलबी भी किया है।

दो बच्चों के पिता हैं राकेश टिकैत

राकेश टिकैत की शादी वर्ष 1985 में बागपत जिले के दादरी गांव की सुनीता देवी से हुई थी। इनके एक पुत्र चरण सिंह दो पुत्री सीमा और ज्योति हैं। इनके सभी बच्चों की शादी हो चुकी है।

 छोड़ी है दिल्ली पुलिस की नौकरी

राकेश टिकैत वर्ष 1992 में दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल के पद पर नौकरी करते थे, लेकिन पिता महेंद्र सिंह टिकैत का प्रभाव उन पर खूब है। यही वजह है कि जबव 1993-1994 में दिल्ली के लाल किले पर पिता महेंद्र सिंह टिकैत के नेतृत्व में किसानों का आंदोलन चल रहा था तो वह भी भावुक हो गए। राकेश टिकैत पर सरकार ने आंदोलन खत्म कराने का दबाव बनाया। साथ ही कहा कि वह अपने पिता और भाइयों को आंदोलन खत्म करने को कहें, जिसके बाद राकेश टिकैत पुलिस की नौकरी छोड़ किसानों के साथ खड़े हो गए थे। इसके बाद पिता महेंद्र सिंह टिकैत की कैंसर से मृत्यु के बाद राकेश टिकैत ने पूरी तरह भारतीय किसान यूनियन (BKU) की कमान संभाल ली।

पिता से सीखा किसान आंदोलन

बालियान खाप से संबंध रखने वाले महेंद्र सिंह टिकैत की मौत के बाद उनके बड़े बेटे नरेश टिकैत को भारतीय किसान यूनियन का अध्यक्ष बनाया गया। इसके पीछे वजह यह है कि बालियान खाप के नियमों के मुताबिक, बड़ा बेटा ही मुखिया हो सकता है। ऐसे में नरेश टिकैत अध्यक्ष हैं, लेकिन कहा जाता है कि भारतीय किसान यूनियन की कमान राकेश टिकैत के हाथ में है और सभी अहम फैसले राकेश टिकैत ही लेते हैं। यह कई बार झलका भी है। सच्चाई यही है कि नरेश टिकैत अध्यक्ष तो राकेश भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं। बता दें कि भारतीय किसान यूनियन की नींव 1987 में रखी गई थी। इस संगठन ने बिजली के दाम को लेकर किसानों ने शामली जनपद के करमुखेड़ी में महेंद्र सिंह टिकैत के नेतृत्व में एक बड़ा आंदोलन किया था। इस दौरान हुई हिंसा में किसान जयपाल और अकबर पुलिस की गोली मारे गए थे। इसके बाद भारतीय किसान यूनियन का गठन हुआ और अध्यक्ष बने चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत।

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