किसान संगठनों के साथ जारी गतिरोध तोड़ने के लिए सरकार ने अभूतपूर्व फैसला लेते हुए अपने तीनों नए कृषि कानूनों पर डेढ़ साल तक रोक लगाने का प्रस्ताव किया है। इसे सरकार का मास्टर स्ट्रोक भी कहा जा रहा है और पैर खींचना भी। पूरा चित्र तो खैर बाद में दिखेगा। किसानों की ओर से प्रस्ताव खारिज किए जाने के बाद बहुत कुछ फिर से सुप्रीम कोर्ट के पाले में आ गया है। फिलहाल माना जा रहा है कि सरकार अपने प्रस्ताव पर डटी रहेगी। ऐसे में संभव है कि तीनों कानून लंबे समय के लिए ठंडे बस्ते में चले जाएं।

डेढ़ साल के अंदर भूमि अधिग्रहण विधेयक पर खींचने पड़े थे पैर

कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन और सरकार की घेरेबंदी के बीच राजनीति और इतिहास ने खुद को दोहराया है। पहले कार्यकाल में भी नरेंद्र मोदी सरकार को लगभग डेढ़ साल के अंदर भूमि अधिग्रहण विधेयक पर पैर खींचने पड़े थे। सरकार ने विकास को ध्यान में रखकर बनाए गए भूमि अधिग्रहण अध्यादेश को तीन बार जारी किया था, लेकिन किसानों और राजनीतिक दलों के दबाव में आखिरकार सरकार को उसे वापस लेना पड़ा था। नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल को भी लगभग डेढ़ साल हो गए हैं और कृषि कानून पर सरकार नरम पड़ गई है।

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