भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि कृषि कानूनों के विरोध में सात जनवरी को किसान यूपी गेट से पलवल तक ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे। दुहाई बड़ी संख्या में किसानों के साथ करीब 500 ट्रैक्टर इसमें शामिल होंगे।
गुरुवार सुबह आरंभ होगा ट्रैक्टर मार्च
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को तीनों कृषि कानूनों को वापस लेना होगा। इसके लिए किसान अपने घरों से इन कानूनों को वापस कराने के लिए सड़कों पर आ गया है। अब तभी घर लौटेंगे जब इन कानूनों को वापस करा लेंगे। भले ही सरकार के साथ होने वाली कितनी भी वार्ता विफल हो, लेकिन हमारी प्राथमिकता हर वार्ता में कृषि बिलों को वापस कराने की हैं।
बड़ी संख्या में शामिल होंगे किसान
उन्होंने कहा कि तीनों कृषि कानूनों को वापस कराने के लिए गुरुवार को किसान बड़ी संख्या में ट्रैक्टरों को लेकर पलवल तक शांतिपूर्ण ट्रैक्टर मार्च निकाला जाएगा। इसमें आंदोलनरत किसानों के अलावा आसपास के जनपद व गांवों के किसान शामिल होंगे। मेरठ रोड दुहाई से किसान 500 से अधिक ट्रैक्टरों के साथ मार्च करेंगे। भाकियू प्रवक्ता ने कहा कि सरकार इतने दिनों से ठंड़ में सड़क पर बैठे किसानों के धैर्य की परीक्षा ले रही है, लेकिन किसान अपने मकसद से नहीं हटेगा।
इधर, राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के अध्यक्ष सरदार वीएम सिंह ने कहा कि किसान संगठन के प्रतिनिधिमंडल के साथ वार्ता के लिए तारीख पर तारीख सरकार की नीयत पर संदेह पैदा कर रही है। सरकार को अगर कृषि कानूनों की वापसी और एमएसपी पर कानून बनाना है तो वार्ता की जरूरत क्या है। यूपी गेट पर किसान आंदोलन स्थल पर उन्होंने कहा कि हर बार किसान प्रतिनिधिमंडल सरकार के बुलावे पर सकारात्मक उर्जा के साथ वार्ता के लिए जाते हैं, लेकिन हर बार विफल होकर लौट आते हैं।
ऐसे में सरकार की नीति और नीयत से भरोसा उठता जा रहा है। सरकार यह समझ ले कि नए कृषि कानून किसान मंजूर नहीं कर रहा है। अगर समझ में आ गया हो तो इसे तत्काल बिना वार्ता के वापस लिए जाएं। इसके साथ ही फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बनाया जाए।
सरकार तारीख पर तारीख देकर किसान संगठनों से बातचीत का नाटक भर कर रही है। किसान सड़कों पर है यहां बारिश है ठंड है, लेकिन जज्बा मजबूत है। उन्होंने कहा कि किसान की एक फसल खराब होती है वह रोने-धोने की बजाए दूसरी फसल की ज्यादा बेहतर फसल होगी इस उम्मीद से तैयारी करता है। यह जज्बा आंदोलन में आए किसान का भी है। किसान अपना हक लेकर लौटेगा।