पौष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हनुमानष्टमी का पर्व मनाया जाात है। ऐसे में यह पर्व आज मनाया जा रहा है। मान्यता है कि हनुमानष्टमी के दिन अगर बजरंग बली की पूजा की जाए तो व्यक्ति की हर मनोकामना पूरी हो जाती है। हनुमान भक्त हनुमानष्टमी का यह पर्व विजय उत्सव के रूप में भी मनाते हैं। शास्त्रों के अनुसार, हनुमानष्टमी को हनुमानजी का विजय उत्सव मनाया जाता है। बजरंग बली की इस दिन पूजा के लिए कई मंत्रों और स्तुतियों की रचना की गई है। इसी तरह की एक स्तुति है हनुमान द्वादशनाम स्तुति।

हनुमान द्वादशनाम स्तुतिु में हनुमान जी के 12 नामों का विवरण दिया गया है। ऐसा कहा जाता है कि सुबह पूजा करते समय और किसी भी यात्रा पर जाने से पहले हनुमान जी के 12 नाम बोलने चाहिए। तो आइए पढ़ते हैं हनुमान द्वादशनाम स्तुति।

हनुमान द्वादशनाम स्तुति:

हनुमानअंजनीसूनुर्वायुपुत्रो महाबल:।

रामेष्ट: फाल्गुनसख: पिंगाक्षोअमितविक्रम:।।

उदधिक्रमणश्चेव सीताशोकविनाशन:।

लक्ष्मणप्राणदाता च दशग्रीवस्य दर्पहा।।

एवं द्वादश नामानि कपीन्द्रस्य महात्मन:।

स्वापकाले प्रबोधे च यात्राकाले च य: पठेत्।।

तस्य सर्वभयं नास्ति रणे च विजयी भवेत्।

राजद्वारे गह्वरे च भयं नास्ति कदाचन।।

शास्त्रों में इस उत्सव को लेकर एक प्रसंग बताई गई है। इसके अनुसार, भगवान राम और रावण के बीच जब युद्ध हो रहा था तब अहिरावण ने भगवान राम और लक्ष्मण को पाताल लोक में कैद कर लिया था और वो उनकी बलि देना चाहता था। इसी समय हनुमान ने अहिरावण को युद्ध में हराया था और उसका वधकर भगवान को छु़ड़ाया था। जब वो युद्ध कर ज्यादा थक गए थे तब हनुमानजी ने पृथ्वी के नाभि स्थल अवंतिका में आराम किया था। इनके बल के चलते श्री राम ने प्रसन्न होकर आशीर्वाद दिया था कि जो भी भक्त पौष कृष्ण की अष्टमी को हनुमान जी की पूजा करेगा उसके सभी कष्ट दूर हो जाएंगे।

डिस्क्लेमर

‘इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी। ‘ 

By admin