डॉ. शेखर मांडे। बहुत से लोगों को लगने लगा है कि कोरोना संक्रमण पर काफी हद तक काबू पा चुके हैं। इसकी वजह यह है कि अब तक भारत में रोजोना नए मामलों का रिकॉर्ड बनाने के बाद उत्तरोतर संख्या में कमी या स्थिरता दिखने लगी है। रिकवरी रेट 86 प्रतिशत हो गया है। मृत्यु दर भी 1.55 प्रतिशत तक आ गई है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार हर दिन नए मामलों और ठीक होने वाले मामलों में लगभग 15000 का अंतर है। यह आंकड़े तसल्ली तो देते हैं लेकिन इससे हमें आत्मसंतुष्ट नहीं हो जाना चाहिए। दरअसल देखा गया है कि दुनिया भर में जहां भी कोरोना संक्रमण की रफ्तार धीमी पड़ी है उसके बाद नई लहर सामने आई है जो पहले से ज्यादा गंभीर थी। ऐसे में यह जरूरी है कि संक्रमण से बचाव के लिए हम जो सावधानियां बरत रहे हैं उनको और प्रभावी तरीके से लागू रखें। इससे संभव है कि हम कोरोना की दूसरी लहर को रोक पाने में सफल हो जाएं। फ्रांस में दूसरी लहर आई जो पहले से कहीं ज्यादा गंभीर थी। इसलिए हमें इस बात के लिए आश्वस्त नहीं हो जाना चाहिए कि हम कोरोना पर काबू पा चुके हैं। हालांकि यह बात सही है कि हमारे देश में सरकार ने बेहतर रणनीति के साथ कोरोना से निपटने के लिए कार्य किया। यही वजह है कि अमेरिका, ब्राजील व फ्रांस, जर्मनी, इटली, स्पेन सहित अन्य यूरोपीय देशों के मुकाबले हमारे यहां आबादी बहुत ज्यादा होने के बावजूद मृत्यु दर कम रही। कोरोना जब तक हमारे साथ है हमें तीन बातों का सख्ती से पालन करना होगा। मास्क को हमें अपने वस्त्र की तरह अनिवार्य बनाना होगा। शारीरिक दूरी का पालन करना होगा और साथ ही घरों में ताजी हवा के आने-जाने का वेंटिलेशन बनाए रखना होगा। उनका मानना है कि यही तीन चीजें ऐसी हैं जिससे हम कोरोना से दो-दो हाथ कर सकते हैं और इन्हीं के जरिए कोरोना वायरस को थामने में भी काफी हद तक सफल भी हो सकते हैं। यह बहुत अच्छी बात है कि हमारे घरों में वेंटिलेशन बहुत अच्छा होता है। यह बंद कमरों की अपेक्षा संक्रमण को रोकने में काफी मददगार हो रहा है। हालांकि चिंता यह है कि आने वाले दिनों में नवरात्र, दशहरा, दीवाली जैसे पर्व हैं जिनमें लोगों का मिलना जुलना बढ़ जाता है। साथ ही अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भी लोगों की आवाजाही रहती है। स्कूल, कॉलेज व अन्य शैक्षिक संस्थान भी खोलने की तैयारी है। यदि ऐसे में हमने शारीरिक दूरी का कड़ाई से पालन नहीं किया तो संक्रमण यकायक बढ़ सकता है। देखा गया है कि जब लोग इस बात के लिए आश्वस्त हो जाते हैं कि हमने महामारी पर काबू पा लिया है तभी इसकी दूसरी लहर और गंभीर रूप धारण करके सामने आ जाती है।
यह भी पुख्ता रूप से नहीं कहा जा सकता कि संक्रमण की दूसरी लहर यदि आई तो वह कब तक आएगी? कितनी गंभीर या सामान्य होगी? हालांकि दूसरे देशों में जैसे ही कोरोना के मामलों में कमी आई और स्कूल, कॉलेज, मॉल आदि खोल दिए गए तुरंत बाद संक्रमण की दूसरी लहर आ गई। इसलिए हमें कतई इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं हो जाना चाहिए कि कोरोना के संक्रमण की रफ्तार कम हो गई है। हमें उन सभी सावधानियों का उसी तरीके से पालन करते रहना होगा जिस तरीके से हम करते आ रहे हैं। हालांकि कुछ लोग ना तो शारीरिक दूरी का ध्यान रख रहे हैं और ना ही मास्क ही सही तरीके से पहनते हैं। यह एक बहुत बड़ी चुनौती साबित हो सकता है इसलिए हमको चाहिए कि हम ऐसे लोगों को सावधान करें और उन्हें इसके महत्व के बारे में भी बताएं। लोग बेसब्री से वैक्सीन आने का इंतजार कर रहे हैं। युद्ध स्तर पर कोशिशें भी जारी हैं। उम्मीद की जा रही है कि साल के अंत तक हम वैक्सीन लाने में कामयाब होंगे लेकिन वैक्सीन आते ही सबको लग जाएगी ऐसा मुमकिन नहीं है। इसलिए हमें फिलहाल मास्क जो कि वैक्सीन से कम नहीं उसका ही इस्तेमाल करते रहना होगा। तभी हम इस संक्रमण को मात देने में कामयाब हो सकते हैं।