गुजरात दंगों के मामले में पीएम नरेंद्र मोदी एसआईटी की ओर से क्लीन चिट दिए जाने के खिलाफ जाकिया जाफरी ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की है। जाकिया जाफरी दंगों में मारे गए कांग्रेस के पूर्व सांसद अहसान जाफरी की पत्नी हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अर्जी पर सुनवाई के लिए 13 अप्रैल की तारीख तय की है। जस्टिस ए.एम. खानविलकर की अध्यक्षता वाली बेंच ने 13 अप्रैल की तारीख तय करते हुए कहा कि इसे आगे नहीं बढ़ाया जाएगा। सीनियर अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने जाकिया जाफरी का पक्ष रखते हुए कोर्ट से मामले की सुनवाई अप्रैल तक के लिए टालने की अपील की।

गुजरात में 2002 में हुई हिंसा के दौरान गुलबर्ग सोसायटी में हुए दंगों में 69 लोग मारे गए थे। इन लोगों में कांग्रेस के पूर्व सांसद अहसान जाफरी भी शामिल थे। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर एसआईटी यानी स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम का गठन किया गया था। इस टीम ने जांच के बाद पीएम नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दी थी। इसके अलावा कई अन्य नेताओं और नौकरशाहों को भी एसआईटी ने क्लीन चिट दी थी। एसआईटी ने नरेंद्र मोदी समेत कई लोगों पर सवालों को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि उनके खिलाफ कोई पुख्ता सबूत नहीं है।

इसके बाद 5 अक्टूबर, 2017 को गुजरात हाई कोर्ट ने अपने एक फैसले में एसआईटी की क्लीन चिट को सही करार दिया था। अब उच्च न्यायालय के उस फैसले को ही चुनौती देते हुए जाकिया जाफरी ने उच्चतम न्यायालय में अर्जी दाखिल की है। जाकिया जाफरी ने अपनी अर्जी में कहा है कि गुजरात दंगों के पीछे एक बड़ी साजिश है। एसआईटी की क्लोजर रिपोर्ट को मंजूरी देने के मजिस्ट्रेट ऑर्डर को गुजरात उच्च न्यायालय ने बरकरार रखा था।

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