अगर मूल्य में देखे तो मार्च 2018 में कुल सर्कुलेशन में 37.26 फीसद हिस्सा 2000 के नोट का था जो अब घटकर 17.78 फीसद रह गया है। ठाकुर ने बताया है कि किस मूल्य के कितने नोट छापे जाने हैं इसका फैसला आरबीआइ से विमर्श के बाद होता है।
देश की करेंसी व्यवस्था से दो हजार रुपये के नोट धीरे-धीरे बाहर किए जा रहे हैं। पिछले दो वित्त वर्षों से आरबीआइ ने दो हजार के नोट छापने का आर्डर नहीं दिया है। इसी का नतीजा है कि देश में प्रसारित कुल नोटों में दो हजार रुपये के नोटों की संख्या 3.27 फीसद से घटकर 2.01 फीसद रह गई है। आने वाले दिनों में इसके और घटने की संभावना है। इस बारे में वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने लोकसभा में जानकारी दी है। एक लिखित प्रश्न के जवाब में उन्होंने बताया कि 30 मार्च, 2018 में 2000 रुपये के 336.2 करोड़ नोट सर्कुलेशन में थे, जो 26 फरवरी, 2021 में घटकर 249.9 करोड़ रह गए हैं।
अगर मूल्य में देखे तो मार्च, 2018 में कुल सर्कुलेशन में 37.26 फीसद हिस्सा 2000 के नोट का था, जो अब घटकर 17.78 फीसद रह गया है। ठाकुर ने बताया है कि किस मूल्य के कितने नोट छापे जाने हैं, इसका फैसला आरबीआइ से विमर्श के बाद होता है। जहां तक दो हजार रुपये के नोट का सवाल है तो 2019-20 और 2020-21 में इसकी प्रिंटिंग नहीं करवाई गई है।
इससे पहले आरबीआइ भी बता चुका है कि किस तरह वह दो हजार रुपये के नोटों का प्रसार लगातार घटाने की कोशिश में है। 2016-17 में 2000 रुपये के 354.3 करोड़ नोट छापे गए थे। 2017-18 में 11.5 करोड़ और इससे अगले वित्त वर्ष में सिर्फ 4.67 करोड़ नोट छापे गए थे।
नवंबर, 2016 में नोटबंदी के समय सरकार ने देश में प्रचलित पुराने 500 और 1000 रुपये के नोटों को बाहर कर दिया था और 500 और 2000 रुपये के नए नोट पेश किए थे। नोटबंदी का एक कारण सरकार ने यह बताया था कि बड़े नोटों से काला धन जुटाने वालों को आसानी होती है। ऐसे में विपक्ष ने 2000 रुपये के नोट लाने पर सवाल भी उठाए थे।
आंकड़ों से साफ है कि सरकार ने एक-दो साल बाद ही दो हजार के नोटों को प्रचलन से बाहर करने पर काम शुरू कर दिया था। इस दिशा में बैंकों की भूमिका अहम है। जो नोट बैंक शाखाओं में आते हैं, उन्हें फिर सर्कुलेशन में डालने के बजाय ज्यादातर को रिजर्व बैंक के पास वापस भेज दिया जाता है।