सुप्रीम कोर्ट ने NOTA अधिक होने पर चुनाव परिणाम रद करने की मांग वाली याचिका पर केंद्र और चुनाव आयोग से से जवाब मांगा है। नोटा दबाने का मतलब आपको चुनाव लड़ रहे कैंडिडेट में से कोई भी उम्मीदवार पसंद नहीं है।
चुनाव में नोटा की संख्या अधिक होने पर चुनाव रद करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और चुनाव आयोग को नोटिश जारी कर जवाब मांगा है। याचिका में चुनाव परिणाम को रद करने और नया चुनाव कराने के लिए आयोग को निर्देश देने की मांग की गई है। नोटा का मतलब ‘नान ऑफ द एवब’ होता है यानी इनमें से कोई नहीं है। इसे दबाने का मतलब यह है कि आपको चुनाव लड़ रहे कैंडिडेट में से कोई भी उम्मीदवार पसंद नहीं है।
मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और वी रामसुब्रमण्यम की पीठ ने कानून और न्याय मंत्रालय और भारत के चुनाव आयोग को याचिका पर जवाब दायर करने के लिए नोटिस जारी किया है। याचिकाकर्ता की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता मेनका गुरुस्वामी सुप्रीम कोर्ट में उपस्थित हुईं।
Supreme Court issues notice to Centre & ECI after hearing a petition filed by BJP leader and lawyer, Ashwini Kumar Upadhyay, seeking directions to EC to nullify election result & hold fresh election, if maximum votes have been polled in favour of NOTA in a particular constituency pic.twitter.com/ZusLWhMU1h
— ANI (@ANI) March 15, 2021
शीर्ष अदालत अधिवक्ता और भाजपा नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में चुनाव आयोग से उन उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों को प्रतिबंधित करने के लिए भी निर्देश देने को कहा गया है, ताकि वह नए चुनावों में हिस्सा ने ले सकें।
याचिका में कहा गया है कि अस्वीकार करने का अधिकार और और नए उम्मीदवार के चुनाव से लोगों को अपना असंतोष व्यक्त करने की शक्ति देगा। यदि मतदाता चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार की पृष्ठभूमि या प्रदर्शन से असंतुष्ट हैं, तो वे ऐसे उम्मीदवार को अस्वीकार करने और एक नया उम्मीदवार चुनने के लिए नोटा का इस्तेमाल करेगा।