छह महानगरों के रविवार को ही चुनाव में मतदान प्रतिशत कमोबेश पिछले चुनाव जैसा ही रहा है या यूं कहें कि 1.7 प्रतिशत घटा है। गुजरात में अहमदाबाद, सूरत, राजकोट, वडोदरा, जामनगर एवं भावनगर महानगर पालिका के लिए रविवार को मतदान हुआ। मतदान प्रतिशत 45.64% रहा जो कमोबेश गत चुनाव के बराबर ही है।
दोपहर तक इन शहरों में मतदान धीमी गति से चलता रहा एक बार तो मतदान 40 फ़ीसदी के आसपास ही रहने की आशंका थी लेकिन दोपहर बाद धीरे-धीरे मतदान ने रफ्तार पकड़ी और मतदान 2015 के प्रतिशत के बराबर जा पहुंचा। चुनाव में भारी सर गर्मी के बावजूद मतदाताओं में सुबह से मतदान के लिए निराशा देखी गई। सबसे अधिक नीरस मतदान गुजरात के सबसे बड़े शहर अहमदाबाद का रहा। कोरोना महामारी के अलावा नागरिक सुविधाओं की उपेक्षा भी इस मतदान के कम रहने की वजह बताई जा रही है।
बीते दो-तीन साल में अहमदाबाद, सूरत, वडोदरा, राजकोट जैसे बड़े शहरों में भी नागरिकों को मानसून के दौरान खराब सड़कों तथा शहरों में घूमते आवारा पशुओं ने बहुत परेशान किया है। महानगर पालिका की ओर से लगातार वसूले जाने वाले टैक्स तथा सुविधाओं के नाम पर पुलिस तथा पालिका प्रशासन की शक्ति से आम नागरिक परेशान हो चुका है और चुनाव आयोग, राज्य सरकार, राजनीतिक दल तथा विविध नेताओं की ओर से लगातार अपील के बावजूद यह मतदान प्रतिशत 50% भी नहीं पहुंच सका।
जहां एक और बड़े शहरों में लोग अपने दफ्तर में कार्यालयों में छुट्टी का आनंद ले रहे थे तो वहीं कई शहरों में दूल्हा दुल्हन शादी से पहले मतदान करते नजर आ रहे थे तो कहीं प्रसूता माता ने अस्पताल से निकलकर पहले घर जाने के बजाय मतदान केंद्र जाना मुनासिब समझा। बुजुर्गों ने भी इस चुनाव में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया तथा कई जगहों पर बैसाखी तथा लोगों के सहारे मतदान केंद्र पहुंचकर उन्होंने मतदान किया। कुछ शहरों में शारीरिक रूप से दिव्यांग लोगों ने भी मतदान में रुचि दिखाई जबकि अबकी बार गुजरात के इन चारों शहरों में मतदान के लिए लंबी कतारें नहीं देखी गई जबकि विधानसभा तथा लोकसभा के चुनाव में भीषण गर्मी के बावजूद लंबी-लंबी कतारें नजर आती थी।