पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर को झटका, प्रिया रमानी के खिलाफ दायर मानहानि केस खारिज

मीटू मामले में फंसे पूर्व केंद्रीय मंत्री और देश के जाने-माने पत्रकार एमजे अकबर को बड़ा झटका लगा है। दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर द्वारा  दायर आपराधिक मानहानि मामले में पत्रकार प्रिया रमानी को बरी कर दिया है। राउज एवेन्यू कोर्ट के एडिशनल चीफ़ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट रवींद्र कुमार पांडे दोनों पक्षों की मौजूदगी में एक ओपन कोर्ट में यह निर्णय सुनाया है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि यौन शोषण आत्मसम्मान और आत्मविश्वास को खत्म कर देता है। साथ ही यह भी कहा कि किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा की सुरक्षा किसी के सम्मान की कीमत पर नहीं की जा सकती है।

गौरतलब है कि देश के जाने माने पत्रकार एमजे अकबर ने पत्रकार प्रिया रमानी पर आपराधिक मानहानि का दावा किया था। इस मामले में सुनवाई पूरी हो चुकी थी और पिछली सुनवाई में जज ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिस पर बुधवार को निर्णय सुनाया है।

पिछले सप्ताह हुई सुनवाई के दौरान पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री एमजे अकबर की तरफ से पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ दायर मानहानि के मामले में दिल्ली राउज एवेन्यू की विशेष अदालत ने फैसला 17 फरवरी के लिए टाल दिया था। इससे पहले 1 फरवरी को भी अदालत ने 10 फरवरी के लिए फैसला सुरक्षित रखा था।

जानिये क्‍या है पूरा मामला

दरअसल, कुछ साल पहले कई देशों में MeToo अभियान चला था। इसमें नामी हस्तियों ने शारीरिक शोषण समेत कई अन्य आरोप पुरुषों पर लगाए थे। इसी कड़ी  में भारत में कई लोग सामने आए, जिन्होंने अपने सहकर्मियों और वरिष्ठ कर्मियों पर शोषण के आरोप लगाए। इस क्रम में पत्रकार प्रिया रमानी ने साल 2018 में मीटू अभियान के दौरान एमजे अकबर पर शोषण का आरोप लगाया था। आरोपों के चलते राष्ट्रीय जनतांत्रिक सरकार में विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर ने 17 अक्टूबर, 2018 को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इस दौरान उन्होंने यह भी कहा था कि मेरे ऊपर लगे आरोप झूठे  हैं। इसके बाद अकबर ने प्रिया रमानी के खिलाफ मानहानि का मामला दायर किया था।

यह है आरोप

पत्रकार  प्रिया रमानी के मुताबिक, 20 साल पहले जब अकबर एक अखबार के संपादक थे, इस दौरान अपने ओहदे का गलत फायदा उठाते हुए शोषण किया।

कई अन्य महिलाओं ने भी एमजे अकबर पर ऐसे ही गंभीर आरोप लगाए जिसके कारण उन्‍हें सरकार में अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा।