कब है सरस्वती पूजा? जानें सही तारीख, मुहूर्त एवं महत्व

हिन्दू धर्म में सरस्वती पूजा का विशेष महत्व है। ज्ञान, वाणी, बुद्धि, वि​वेक, विद्या और सभी कलाओं से परिपूर्ण मां सरस्वती की इस दिन पूजा हाती है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन सरवती पूजा होती है। इसे वसंत पंचमी, ज्ञान पंचमी या श्री पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। इस वर्ष सरस्वती पूजा 16 फरवरी दिन मंगलवार को है। जागरण अध्यात्म में आज हम जानते हैं सरस्वती पूजा के सही मुहूर्त और महत्व के बारे में।

सरस्वती पूजा 2021 का मुहूर्त

इस वर्ष वसंत पंचमी के दिन आज सरस्वती पूजा 16 फरवरी को सुबह 06:59 बजे से दोपहर 12:35 बजे तक कर सकते हैं। इस दिन आपको पूजा के लिए कुल 05 घंटे 37 मिनट का समय मिल रहा है। ऐसे में आपको इस दिन स्नान आदि से निवृत होकर सफेद या पीले वस्त्र पहनकर विधि विधान से सरस्वती पूजा करनी चाहिए।

इस साल माघ शुक्ल पंचमी तिथि 16 फरवरी को प्रात: 03:36 बजे से शुरू हो रही है। यह अगले दिन 17 फरवरी को प्रात: 05:46 बजे तक रहेगी।

सरस्वती पूजा का महत्व

कहा जाता है कि माघ शुक्ल पंचमी के दिन ही सरस्वती माता प्रकट हुई थीं, इसलिए इस तिथि को हर वर्ष सरस्वती पूजा मनाई जाती है। इस दिन लोग अपने बच्चों की शिक्षा प्रारंभ कराते हैं, अक्षर ज्ञान कराते हैं। यह दिन संगीत, कला आदि के ज्ञान अर्जन का शुभारंभ करने के लिए भी उत्तम होता है। ऐसी भी मान्यता है कि इस दिन सरस्वती पूजा करने से देवी प्रसन्न होती हैं और भक्तों को ज्ञान, संगीत, कला आदि में निपुण होने का आशीष देती हैं।

सरस्वती पूजा के समय माता को पीले रंग के फूल, पीले रंग के मिठाई, पीले वस्त्र आदि अर्पित करना शुभ माना जाता है।

कब है विघ्नहर्ता श्री गणेश का जन्मदिन? जानें पूजा मुहूर्त, तिथि एवं महत्व

माघ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश जयंती होती है। इस दिन ही भगवान गणेश जी का जन्म हुआ था। इस दिन को माघी गणेश चतुर्थी माघ विनायक चतुर्थी या तिलकुंड चतुर्थी भी कहा जाता है।

विघ्नहर्ता श्री गणेश जी के भक्तों को गणेश चतुर्थी की तरह ही उनके जन्मदिन का भी इंतजार रहता है। हिन्दी पंचांग के अनुसार, माघ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश जयंती होती है। इस दिन ही भगवान गणेश जी का जन्म हुआ था। इस दिन को माघी गणेश चतुर्थी, माघ विनायक चतुर्थी या तिलकुंड चतुर्थी भी कहा जाता है। इस वर्ष गणेश जयंती रवि योग में 15 फरवरी दिन सोमवार को मनाई जाएगी। जागरण अध्यात्म में आज में गणेश जयंती की पूजा मुहूर्त, तिथि और महत्व के बारे में बताने जा रहे हैं। आप भी इसकी मदद से गणेश जन्मोत्सव की तैयारी कर सकते हैं।

गणेश जयंती 2021 मुहूर्त

माघ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि का प्रारंभ 14 फरवरी दिन रविवार को देर रात 01 बजकर 58 मिनट पर हो रहा है, जो 16 फरवरी को तड़के 03 बजकर 36 मिनट तक रहेगा। ऐसे में इस वर्ष गणेश जयंती 15 फरवरी को ही मनाई जाएगी।

गणेश जयंती के दिन दोपहर में गणपति बप्पा की पूजा के लिए आपको कुल 02 घंटे 14 मिनट का समय मिलेगा। उस दिन आप दिन में 11 बजकर 28 मिनट से दोपहर 01 बजकर 43 मिनट के मध्य गणेश पूजा संपन्न कर लें। इस दिन बड़ा शुभ समय है। इस वर्ष रवि योग में गण​पति बप्पा की पूजा की जाएगी और उनका जन्मोत्सव मनाया जाएगा। गणेश जयंती के दिन रवि योग सुबह 06:59 बजे से शाम को 06:29 बजे तक है।

गणेश जयंती का महत्व

गणेश जयंती के दिन का विशेष धार्मिक महत्व होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो व्यक्ति गणेश जयंती के दिन गणेश पूजा करते हैं उसे पूरे साल के गणेश चतुर्थी व्रत का फल प्राप्त करता है। उस व्यक्ति की उन्नति में भाग्य सहायक बन जाता है, जीवन में शुभता बढ़ती है तथा मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। गणेश जयंती के दिन मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर समेत देशभर के गणेश मंदिरों में गणपति का जन्मोत्सव हर्षोल्लास से मनाया जाता है।

भूलकर भी न करें चंद्रमा का दर्शन

गणेश जयंती यानि कि माघी गणेश चतुर्थी के दिन व्यक्ति को चंद्रमा का दर्शन करने की मनाही होती है। इस दिन जो व्यक्ति चंद्रमा का दर्शन करता है, उसे मानसिक कष्ट से गुजरना पड़ता है।

वर्जित चन्द्रदर्शन का समय

गणेश जयंती के दिन चंद्रोदय सुबह 09:14 बजे होगा और चंद्रास्त रात 09:32 बजे होगा। ऐसे में आपको चंद्रमा के दर्शन से बचना है

डिसक्लेमर

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