किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान राजधानी दिल्ली में हुई हिंसा के लिए कांग्रेस ने उपद्रवी तत्वों को जिम्मेदार ठहराते हुए इसे गृहमंत्रालय और दिल्ली पुलिस की विफलता करार दिया है। पार्टी ने इस हिंसा को किसानों के आंदोलन को बदनाम करने की साजिश का हिस्सा बताते हुए इसे रोक नहीं पाने के लिए गृहमंत्री अमित शाह का इस्तीफा भी मांगा है। कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रमुख रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि यदि शाह इस्तीफा नहीं देते तो पीएम को उन्हें फौरन बर्खास्त करना चाहिए। बुधवार को सुरजेवाला ने कहा कि हमारे राष्ट्रीय स्मारक पर कब्जा कर धार्मिक झंडा फहराने वाले उपद्रवी तत्वों पर कार्रवाई करने के बजाय किसान नेताओं पर मुकदमा दर्ज करने से साफ है कि इस हिंसा को साजिश के तहत अंजाम दिया गया। इसके पीछे मंशा साफ है कि किसी तरह किसानों के आंदोलन को बदनाम कर उनकी लड़ाई को खत्म किया जा सके।
लालकिले पर उपद्रवियों का पहुंचना आंदोलन को बदनाम करने की साजिश
उन्होंने कहा कि तमाम खुफिया इनपुट के बावजूद हिंसा रोक पाने में नाकाम रहने के बाद गृहमंत्री को एक पल भी अपने पद पर बने रहने का हक नहीं है। जेएनयू में हिंसा और दिल्ली दंगों के साल भर के भीतर दूसरी बार राजधानी में हिंसा को रोक पाने में वे नाकाम रहे हैं। हिंसा को साजिश का हिस्सा बताने के लिए सुरजेवाला ने लाल किले पर उपद्रवी तत्वों की अगुआई करने वाले पंजाबी कलाकार दीप सिद्धू की मौजूदगी और दिल्ली पुलिस द्वारा कथित तौर पर उसके साथ नरमी बरते जाने का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि चंद उपद्रवियों को लाल किले में क्यों घुसने दिया गया। दिल्ली पुलिस मूक दर्शक क्यों बनी रही।
दीप सिद्धू के खिलाफ कार्रवाई नहीं होना साफ सबूत : सुरजेवाला
सुरजेवाला ने कहा कि दीप सिद्धू की भाजपा के शीर्ष नेताओं से निकटता जगजाहिर है। दिल्ली पुलिस ने उपद्रवियों के उनके गैंग की बजाय संयुक्त किसान मोर्चे के नेताओं के खिलाफ एफआइआर दर्ज कर भाजपा सरकार की उनसे मिलीभगत को खुद बेनकाब किया है।
किसानों का बचाव करते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि पिछले 63 दिनों से अन्नदाता दिल्ली के दरवाजे पर तीनों काले कानूनों के खिलाफ शांतिपूर्वक अपना आंदोलन कर रहे हैं। मोदी सरकार ने उन्हें रोकने के लिए आंसू गैस के गोले, वाटर कैनन, लाठी चार्ज तक किया, मगर उन्होंने शांति की राह नहीं छोड़ी। मगर सरकार जब उन्हें बलपूर्वक नहीं हटा पाई, तो अब छलपूर्वक हटाने की साजिश कर रही है। अराजकता का आरोप लगाकर आंदोलन को बदनाम करने की यह नीति इसी साजिश का हिस्सा है।