यूपीए नेतृत्व में उथल-पुथल को लेकर जानें क्‍यों आक्रामक है कांग्रेस, शरद पवार का क्‍या है मूड

यूपीए के नए नेतृत्व के लिए शरद पवार के नाम की पैरोकारी कर रहे क्षेत्रीय दलों के रुख ने कांग्रेस पर अचानक राजनीतिक दबाव बढ़ा दिया है। सियासी हकीकत यह भी है कि नेतृत्व को लेकर लंबे समय से असमंजस में घिरी कांग्रेस ने खुद क्षेत्रीय दलों को यह दबाव बनाने का मौका दिया है। ऐसे में विपक्षी खेमे की इस सियासी मुहिम को थामने के लिए ही कांग्रेस ने अपने राष्ट्रीय नेताओं से लेकर महाराष्ट्र के नेताओं को मुखर होने को कहा है।

यूपीए को लेकर कांग्रेस ने बनाई रणनीति
यूनाइटेड प्रोग्रेसिव एलांयस (यूपीए) नेतृत्व की कमान कांग्रेस के हाथ से खिसकने के प्रयासों को रोकने की रणनीति के तहत ही वरिष्ठ पार्टी नेता पी चिदंबरम ने रविवार को यह बयान दिया कि यूपीए अध्यक्ष का पद कोई प्रधानमंत्री का पद नहीं, जिसको लेकर सियासी दांवपेच चला जाए। इसी तरह महाराष्ट्र कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व सूबे की सरकार में मंत्री अशोक चव्हाण ने यूपीए की कमान पवार के हाथों में सौंपने की मांग करनेवाली शिवसेना को ही आड़े हाथों लेते हुए उसकी सियासी सीमारेखा बता दी। चव्हाण ने कहा कि यूपीए की राजनीति की बात कर रही शिवसेना से गठबंधन केवल महाराष्ट्र तक सीमित है और वह तो यूपीए का हिस्सा ही नहीं है।

उद्धव, ममता, केसीआर सरीखे क्षेत्रीय नेता शरद पवार को करना चाहते हैं आगे

यूपीए के नेतृत्व को लेकर गरमाई इस सियासत में कांग्रेस के लिए राहत की बात यही है कि खुद शरद पवार ने कहा है कि यूपीए का नेतृत्व करने में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं है। कांग्रेस सूत्रों ने भी इस बात की पुष्टि की कि शिवसेना प्रमुख और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, टीएमसी नेता व बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, तेलंगाना के सीएम के चंद्रशेखर राव से लेकर द्रमुक नेता स्टालिन ने भी शरद पवार से विपक्षी एकजुटता की नई पहल शुरू करने का अनुरोध किया था।

कहा- यूपीए का नेतृत्व करने में कोई दिलचस्पी नहीं

उद्धव और ममता ने आगे आने के लिए खासतौर पर पवार पर जोर डाला, लेकिन 80 साल के हो चुके मराठा क्षत्रप ने अपनी उम्र की चुनौतियों को देखते हुए इसको लेकर बहुत उत्साह नहीं दिखाया। कांग्रेस सूत्रों का तो यह भी कहना है कि सोनिया गांधी से पवार के सियासी समीकरण ऐसे हैं कि इस मुकाम पर अब वह कड़वाहट का नया दौर शुरू नहीं करेंगे। वहीं राहुल गांधी के साथ भी पवार के रिश्ते अच्छे हैं। वह राजनीतिक मसलों पर पवार से समय-समय पर सलाह भी लेते हैं। इसी आधार पर कांग्रेस का मानना है कि क्षेत्रीय नेताओं के दबाव के बावजूद पवार यूपीए नेतृत्व के मौजूदा ढांचे में उथल-पुथल की स्थिति पैदा नहीं होने देंगे।