झारखंड में पिछले एक महीने में सरकार के ताबड़तोड़ फैसलों से राज्य की जनता की उम्मीदें परवान चढ़ रही हैं। नौकरियों पर अपने वादे पूरे करने के प्रति गंभीर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन तमाम निर्णयों के जरिये जनता में यह भरोसा पैदा करने की कोशिश में जुटे हैं कि गठबंधन सरकार ने अपने संकल्प पत्र में जनता से जो वादे किए थे वह उन्हें हर हाल में पूरा करके रहेंगे।
दुमका में झारखंड उच्च न्यायालय की खंडपीठ की स्थापना का मामला हो या 80 हजार महिला रसोइया के मानदेय बढ़ाने का या लंबे समय से मांग कर रहे केवट, मल्लाह, निसाद और चांय जातियों को अनुसूचित जाति का दर्जा देने के प्रस्ताव को मंजूरी देने का हो। इन सभी फैसलों के माध्यम से उन्होंने यह संदेश देने की कोशिश की है कि उनकी सरकार जनता के दुख-दर्द को करीब से समझती है। इतना ही नहीं, निजी क्षेत्र में 75 प्रतिशत नौकरियां स्थानीय युवाओं को देने की दिशा में भी सरकार आगे बढ़ गई है। वैसे भी हेमंत घोषणा कर चुके हैं कि वर्ष 2021 नौकरियों का साल होगा। सरकार इस दिशा में तेजी से बढ़ती दिख भी रही है।
दरअसल सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा को इस बात का बखूबी अहसास है कि पिछले विधानसभा चुनाव में नौकरियों को लेकर किया गया वादा भाजपा को पीछे धकेलने में कारगर साबित हुआ था। यही वजह है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का सबसे ज्यादा फोकस रोजगार पर है। उनके निर्देश पर सरकारी विभागों तथा कार्यालयों में तमाम रिक्त पदों को भरने की तैयारी चल रही है। इसके लिए जहां नियमावलियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है, वहीं कार्यालयों से रिक्तयां भी मंगाई जा रही हैं। हेमंत सरकार ने सबसे पहले झारखंड लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित होने वाली संयुक्त सिविल सेवा परीक्षा के नियमों में व्यापक बदलाव किया। नई नियमावली के तहत 252 पदों के लिए नियुक्ति प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और ऑनलाइन आवेदन भरे जा रहे हैं।
यह संयुक्त सिविल सेवा प्रतियोगिता परीक्षा एक साथ चार वर्षो 2017, 2018, 2019 तथा 2020 तक के लिए हो रही है। नियमित परीक्षा नहीं होने से इस परीक्षा में शामिल होने से अभ्यर्थी वंचित न हों, इसके लिए अधिकतम आयु सीमा की गणना एक अगस्त 2016 से करने का निर्णय लिया गया है। आरक्षित वर्ग के अभ्यíथयों को इसमें कई अन्य राहतें दी गई हैं। जैसे इसमें पहली बार आरक्षित वर्गो के लिए कट ऑफ मार्क्स कम किए जाने के प्रविधान किए गए हैं। इस परीक्षा में एससी, एसटी, पिछड़ा वर्ग तथा अत्यंत पिछड़ा वर्ग के लिए कट ऑफ मार्क्स की बाध्यता खत्म कर दी गई है। अब कट ऑफ मार्क्स की बाध्यता हटने से अधिक से अधिक छात्र मुख्य परीक्षा के लिए क्वालीफाई करेंगे। हालांकि इन अभ्यíथयों को भी निर्धारित अंक अनिवार्य रूप से लाना होगा। इसके साथ ही इस परीक्षा में शामिल होने के लिए अवसरों की सीमा की बाध्यता भी खत्म कर दी गई है।
राज्य सरकार छठी से आठवीं कक्षाओं के लिए 26 हजार शिक्षकों के पद बढ़ाने की तैयारी कर रही है। झारखंड बनने के बाद पहली बार अपर प्राइमरी स्कूलों के शिक्षकों के पद बढ़ाने की कवायद शुरू हुई है। स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने यह प्रस्ताव तैयार कर लिया है। राज्य के सरकारी माध्यमिक विद्यालयों में लगभग दो हजार स्नातक प्रशिक्षित शिक्षकों की बहाली प्रक्रिया भी अंतिम चरण में है। झारखंड कर्मचारी चयन आयोग ने 11 जिलों के लिए इतिहास-नागरिक शास्त्र विषय में 700 से अधिक स्नातक प्रशिक्षित शिक्षकों की अनुशंसा भेजी है। इधर झारखंड कर्मचारी चयन आयोग माध्यमिक शिक्षा निदेशालय के निर्देश पर पूर्व में रिक्त रह गए प्राथमिक शिक्षकों के आरक्षित पदों पर भी सीधी भर्ती के अभ्यíथयों की अनुशंसा की तैयारी मेधा सूची के आधार पर कर रहा है।
स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने सभी प्रमंडलों के क्षेत्रीय शिक्षा उपनिदेशकों (आरडीडीई) से रिक्त पदों का ब्यौरा मांगा है। रिक्तियां मिलने के बाद नियुक्ति की अधियाचना झारखंड कर्मचारी चयन आयोग को भेजी जाएगी। इन विद्यालयों व कार्यालयों में तृतीय श्रेणी के लगभग चार हजार पद रिक्त हैं। राज्य सरकार बेरोजगारों को सालाना भत्ता देने की तैयारी में भी है।