कभी राम विलास पासवान की बाेलती थी तूती, आज बेटे चिराग के समक्ष ‘बंगला’ बचाने की चुनौती

इसे राजनीति की माया कह सकते हैं। कभी रामविलास पासवान (Ram Vilas Paswan) की बिहार की सियासत में तूती बोलती थी। उन्होंने वर्ष 2000 में लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) की स्थापना की और उसे दमदार तरीके से खड़ा किया। लेकिन उनके निधन के बाद पार्टी डंवाडोल स्थिति में दिख रही है। उनके पुत्र चिराग पासवान (Chirag Paswan) कई राजनीतिक चुनौतियों से घिरे हैं। हालात यह है कि चिराग पासवान के लिए अब पार्टी का चुनाव चिह्न (party symbol) बंगला बचाने तक की चुनौती खड़ी हो गई है।

बिहार में एलजेपी का चेहरा बदलना चाहते हैं चिराग

बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे के बाद चिराग पासवान ने पांच दिसंबर 2020 को एलजेपी के प्रदेश कार्य समिति, सभी प्रकोष्ठों एवं जिला इकाईयों को भंग कर दिया था। तब जानकारों का कहना था कि कुछ नेताओं के असंतोष को दबाने और पार्टी को संभावित टूट से बचाने के लिए ऐसा किया गया था। इसके बाद ढाई माह बीत गए, लेकिन चिराग ने अब तक प्रदेश एलजेपी की नई टीम खड़ी करने की हिम्मत नहीं दिखाई है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि चिराग प्रदेश अध्यक्ष के लिए नये और दमदार चेहरे की तलाश में हैं, जो परिवार से बाहर का हो। चिराग एलजेपी पर लगे परिवारवाद का ठप्पा मिटाना चाहते हैं। पार्टी का चेहरा बदलने में जुटे चिराग पासवान कुशवाहा, राजपूत और भूमिहार में से किसी एक जाति से अपने किसी विश्वासपात्र नेता को प्रदेश अध्‍यक्ष बनाना चाहते हैं। बहरहाल, एलजेपी और चिराग पासवान की राजनीतिक गतिविधियां प्रदेश में बिल्कुल शांत हैं।

पार्टी में भगदड़, नेताओं पर अन्य दलों के डोरे

एलजेपी के विक्षुब्ध नेताओं पर अन्य दलों की नजरें भी हैं। उनपर डोरे भी डाले जा रहे हैं। हाल में एलजेपी के दर्जन से ज्यादा नेताओं ने कांग्रेस का दामन थामा है। एलजेपी के पूर्व महासचिव केशव सिंह के नेतृत्च में दर्जनों नेता अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ आज को जनता दल यूनाइटेड (JDU) में शामिल हो रहे हैं। इसी तरह एलजेपी के कई और नेताओं ने भी पार्टी छोड़ने का मन बनाया है।

चिराग की महत्वाकांक्षा ने डुबाेई एलजेपी की नैया

केशव सिंह ने बताया कि चिराग की अपनी महत्वाकांक्षा ने चुनाव में एलजेपी की नैया डुबाेई। इस डूब से एलजेपी उभर नहीं पायी है। पुराने नेताओं की कद्र भी नहीं है। रामविलास पासवान की कार्यशैली की तारीफ करते हुए केशव सिंह ने बताया कि चिराग में नेतृत्व क्षमता की कमी है, इसलिए एलजेपी में टूट शुरू हो गई है। उन्‍होंने कहा कि उनके अलावा जेडीयू के संपर्क में कई बड़े नेता, पूर्व विधायक एवं सांसद भी हैं। कुछ नेता भारतीय जनता पार्टी (BJP) के संपर्क में भी हैं।

केंद्रीय मंत्रिमंडल में शायद ही मिले जगह, घटी पूछ

जेडीयू के एलजेपी के प्रति कड़े रुख के चलते अब राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में भी उसकी पूछ घट गई है। जानकारों का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार (Central Cabinet Expansion) होने पर उसमें एलजेपी को शायद ही जगह मिले, क्योंकि इस मामले में जेडीयू ने कड़ा रुख अख्तियार कर रखा है। राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है कि चुनाव में एलजेपी ने जिस तरीके से खासकर जेडीयू के खिलाफ वोटकटवा की भूमिका निभाई, उसके चलते एनडीए में उसकी कद्र कम हुई। इसका प्लॉट खुद चिराग ने तैयार किया था।

एलजेपी की नई टीम और जिलाध्यक्षों की घोषणा जल्द

पूरे मामले में एलजेपी की नपी-तुली प्रतिक्रिया मिली है। पार्टी के प्रदेश प्रवक्‍ता श्रवण अग्रवाल कहते हैं कि एलजेपी बड़ी पार्टी है। चिराग पासवान के कुशल नेतृत्व में पार्टी अपने संगठनात्मक ढांचे को मजबूत करने में जुटी है। बिहार एलजेपी की नई टीम और सभी जिलाध्यक्षों की घोषणा जल्द होगी। इसके बाद पार्टी प्रदेश की राजनीति में अपने पुराने रंग में दिखेगी।