श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने चारों श्रम संहिताओं के लिए नियमों को अंतिम रूप दे दिया है। इससे जल्द ही इन श्रम सुधारों के क्रियान्वयन रास्ता खुल गया है। नियमों के नोटिफाई होते ही इस दिशा में कदम बढ़ जाएगा।
वेतन, औद्योगिक संबंध, सामाजिक सुरक्षा और व्यावसायिक सुरक्षा एवं स्वास्थ्य व काम करने की स्थिति (ओएसएच) पर चार व्यापक संहिताएं पहले ही राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद अधिसूचित की जा चुकी हैं। इन संहिताओं को लागू करने के लिए नियमों को अधिसूचित करने की आवश्यकता है। अब मंत्रालय ने संहिताओं के मसौदा नियमों पर परामर्श की प्रक्रिया पूरी कर ली है।
श्रम सचिव अपूर्व चंद्रा ने कहा, ‘हमने चार श्रम संहिताओं को लागू करने के लिए आवश्यक नियमों को अंतिम रूप दे दिया है। राज्य भी इस संबंध में अपना काम कर रहे हैं। संसद ने चार व्यापक संहिताओं को पारित किया था, जो 44 केंद्रीय श्रम कानूनों की जगह लेंगे।’ संसद ने वेतन पर संहिता को 2019 में पारित किया था, जबकि अन्य तीन संहिताओं को दोनों सदनों से 2020 में मंजूरी मिली। श्रम संविधान की समवर्ती सूची में है, इसलिए राज्य भी इन संहिताओं से जुड़े नियम तय करेंगे।
हफ्ते में चार दिन काम की अनुमति देने की तैयारी
सरकार नई श्रम संहिताओं में हफ्ते में चार दिन काम की अनुमति देने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। हालांकि हफ्ते में अधिकतम 48 घंटे काम की सीमा में कोई बदलाव नहीं होगा। श्रम एवं रोजगार सचिव अपूर्व चंद्रा ने यह बात कही है। अपूर्व चंद्रा ने कहा, ‘त्रिपक्षीय चर्चा के दौरान एक दिन में 12 घंटे से ज्यादा काम के घंटे पर चिंता जताई गई। हम इसमें लचीलापन लाने पर काम कर रहे हैं। नियोक्ता को हफ्ते में पांच या चार दिन काम की अनुमति दी जा सकती है।’
उन्होंने कहा कि कई नियोक्ता हफ्ते में चार दिन काम कराने के इच्छुक हैं। उनके लिए प्रविधानों को लचीला करने का प्रयास है। श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने हाल में बताया था कि चारों श्रम संहिताओं के लिए नियमों को अंतिम रूप देने का काम चल रहा है और आगामी हफ्ते में यह पूरा हो सकता है। इस प्रक्रिया में सभी संबंधित पक्षों से विमर्श किया गया है। मंत्रालय जल्द ही इन संहिताओं को लागू करने की स्थिति में होगा। मंत्रालय ने असंगठित श्रमिकों के लिए एक पोर्टल लांच करने की जानकारी भी दी है। इस दिशा में भी सही गति से काम बढ़ रहा है। इस पोर्टल पर बिल्डिंग एवं कंस्ट्रक्शन समेत विभिन्न सेक्टर से जुड़े कामगारों की जानकारी रहेगी। इससे ऐसे कामगारों के लिए स्वास्थ्य, आवास, गुणवत्ता विकास, बीमा व भोजन आदि से जुड़ी योजनाएं बनाने में मदद मिलेगी। इस साल मई-जून तक यह पोर्टल रजिस्ट्रेशन के लिए खुल जाएगा।