विधानसभा चुनाव को लेकर बंगाल में अन्य राज्यों के कुछ दल भी वोटों का समीकरण बनाने में जुटे हैं। ये क्षेत्रीय पार्टयिां किसका खेल बिगाड़ेंगी और किसका बनाएंगी, यह तो विधानसभा चुनाव के बाद ही पता चल पाएगा। इस समय बंगाल में जो सियासी हवा चल रही है, उसमें कुछ दलों की नजर सूबे के 30 फीसद मुस्लिम तो कुछ की 30 फीसद अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्ग के वोटरों पर है।
ऑल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआइएमआइएम) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की शह पर बांग्लाभाषी मुस्लिमों पर प्रभाव रखने वाले फुरफुरा शरीफ दरगाह के पीरजादा अब्बास सिद्दीकी ने इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आइएसएफ) नामक पार्टी बनाने के साथ चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है। ऐसे में ओवैसी-सिद्दीकी की जोड़ी से किसे नुकसान और किसे फायदा होगा, यह बड़ा सवाल है। यहां लड़ाई मुख्य रूप से तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच है। यह काफी हद तक स्पष्ट है, पर कांग्रेस और वाम दलों ने गठबंधन कर लड़ाई को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश जरूर की है।
सूबे की 294 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस और वाममोर्चा के बीच 193 सीटों पर समझौता हो गया है। ऐसे में तृणमूल कांग्रेस को थोड़ी उम्मीद बंधी है कि विरोधी वोट बंटेगा, जिसका फायदा उन्हें हो सकता है, लेकिन त्रिपक्षीय लड़ाई में छोटी पार्टियों की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। एक तरफ ओवैसी और अब्बास सिद्दीकी मुस्लिम वोट पर नजर रखे हुए हैं तो दूसरी ओर झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) और ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) की नजर बंगाल के आदिवासियों की बहुलता वाले पुरुलिया, झाड़ग्राम, पश्चिम मेदिनीपुर, बांकुड़ा, पूर्व व पश्चिम बर्धमान और वीरभूम जैसे जिलों पर है। इन जिलों के आदिवासी वोट कई सीटों को प्रभावित करने का माद्दा रखते हैं। यही वजह है कि विधानसभा चुनाव के करीब आने के साथ-साथ झारखंड के राजनीतिक दलों की बंगाल में सक्रियता बढ़ गई है।
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने झाड़ग्राम में पहली चुनावी सभा कर बिगुल फूंकने के साथ 40 सीटों पर अपना प्रत्याशी उतारने की घोषणा कर दी है। झारखंड में भाजपा की सहयोगी आजसू भी बंगाल चुनाव को लेकर सक्रिय है। आजसू के नेता बंगाल के सीमावर्ती इलाकों में सभाएं कर रहे हैं। वे यहां कितने असरदार होंगे, यह चुनाव के नतीजे से प्रमाणित हो जाएगा। वहीं, दूसरी ओर राष्ट्रीय जनता दल (राजद), जनता दल यूनाइटेड (जदयू) लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा), हिंदुस्तानी वाम मोर्चा (हम) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) समेत शिवसेना जैसी पार्टयिां भी बंगाल में ताल ठोकने की तैयारी में हैं।