हमेशा मैं ही उसे फोन करती हूं, वह कभी मेरा हाल भी नहीं पूछती, उसने मुझे अपने बेटे की शादी में नहीं बुलाया तो मैं उसके घर क्यों जाऊं..? शिकायतों और तानों-उलाहनों की एक लंबी फेहरिस्त अक्सर लोगों के पास होती है और अहं के टकराव की वजह से अक्सर उनके रिश्ते टूट जाते हैं।
ईगो को कहें गो : अगर हम अपने रिश्तों को लेकर ऐसी नकारात्मक सोच रखेंगे तो धीरे-धीरे हमारे सभी दोस्त और रिश्तेदार हमसे दूर होने जाएंगे। अहं किसी रिश्ते का सबसे बड़ा दुश्मन है। अड़ियल रवैये की वजह से कई बार लोग छोटी-छोटी बातों पर अपनों से नाराज़ हो जाते हैं। वक्त बीतने के बाद भी संबंधों को सुधारने की कोशिश नहीं करते। अगर हम अपने अहं को त्याग दें तो हमारे लिए टूटे रिश्तों को संवारना बहुत आसान हो जाएगा।
बंद न हो बातचीत : चाहे पारिवारिक रिश्ते हों या प्रोफेशनल, संवादहीनता किसी भी रिश्ते के लिए जहर का काम करती है। इससे गलतफहमियां बढ़ती हैं। फिर एक दौर ऐसा आता है, जब हमारा कोई प्यारा सा रिश्ता हमेशा के लिए टूट कर बिखर जाता है। इस संदर्भ में मनोवैज्ञानिक सलाहकार विचित्रा दर्गन आनंद कहती हैं, हालात चाहे कितने ही खराब क्यों न हों, हमें अपनों से बातचीत बंद नहीं करनी चाहिए। इससे भविष्य में सुधार की सारी संभावनाएं खत्म हो जाती हैं। अगर परिवार के किसी सदस्य, रिश्तेदार, दोस्त या कलीग की किसी बात का आपको दुख पहुंचा हो, तो भी उसके बारे में ज्यादा लंबे समय तक सोचने के बजाय उसे भूलने की कोशिश करें और उससे दोबारा बातचीत शुरू करें।
अब माफ भी करें : किसी भी बिगड़ते रिश्ते को संवारने के लिए यह बहुत जरूरी है कि हम दूसरों को माफ करना और खुद भी माफी मांगना सीख जाएं। चाहे पति-पत्नी के बीच अनबन हो या दोस्तों से मनमुटाव..या फिर सास-बहू के बीच होने वाली मामूली सी तकरार। किसी भी रिश्ते में अगर कोई कड़वाहट पैदा हो जाए और आप उसे सच्चे दिल से दूर करना चाहती हैं तो माफी मांगने में संकोच न करें। अगर आप किसी से छोटी हैं तो गलती न होने पर भी अपने रिश्ते को बचाने के लिए बड़े व्यक्ति से माफी मांग लें। किसी की वजह से आपको चाहे कितना भी दुख क्यों न पहुंचा हो, अगर वह आपसे माफी मांग रहा है तो सब कुछ भूलकर आप उसे माफ कर दें। माफी मांगने से कोई छोटा नहीं हो जाता। इसी तरह माफ करना भी बड़प्पन की निशानी है। इसलिए हमें अपने बिगड़े रिश्तों को जल्द से जल्द संवार लेना चाहिए।