गुजरात स्थानीय निकाय चुनाव में दो मराठी नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर है। दोनों ही नेता महाराष्ट्र में पैदा हुए, लेकिन इनके बीच राजनीतिक टकराव गुजरात में होगा। भाजपा अध्यक्ष सीआर पाटिल व कांग्रेस प्रभारी राजीव सातव में निकाय चुनाव से पहले खूब जोर आजमाइश कर रहे हैं। गुजरात भाजपा के अध्यक्ष सीआर पाटिल व कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी राजीव सातव, दोनों ही नेता सांसद हैं तथा अपने-अपने आलाकमान के विश्वस्त हैं। पाटिल नवसारी गुजरात से तीसरी बार सांसद चुने गए, जबकि सातव दूसरी बार सांसद बने हैं। पाटिल का जन्म महाराष्ट्र के जलगांव में हुआ था, जबकि सावत का जन्म सांगली में हुआ।
सातव ने जब पाटिल को भाऊ कहकर संबोधित किया तो गुजरात प्रदेश के अध्यक्ष अमित चावड़ा व नेता विपक्ष परेश धनाणी भी अब उन्हें पाटिल भाऊ कहकर ही संबोधित करते हैं। गुजरात में स्थानीय निकाय चुनाव के एलान से पहले ही दोनों नेता अपनी-अपनी पार्टी की जमीन तैयार करने में खूब मेहनत कर रहे हैं। हालांकि विधानसभा उपचुनाव में सभी आठ सीटों पर कब्जा जमाकर पाटिल ने कांग्रेस प्रभारी सातव को जोर का झटका दिया है, लेकिन सातव इस हार के बाद और सतर्क हो गए हैं। गुजरात में आगामी 21 फरवरी को छह महानगर पालिका तथा 28 फरवरी को जिला, तहसील पंचायत व नगर पालिका के चुनाव होंगे। पाटिल ने जहां भाजपा कार्यकर्ताओं को मिशन ऑल आउट का नारा दिया है, वहीं सातव की पूरी रणनीति युवा व महिला प्रत्याशियों पर टिकी है। गुजरात कांग्रेस के कई विधायक व नेताओं के भाजपा में चले जाने से परेशान कांग्रेस में अब प्रत्याशियों से पार्टी में ही बने रहने का शपथ पत्र भी भराया जाएगा। भाजपा व कांग्रेस दोनों ही दलों के आलाकमान ने अपने इन नेताओं को पूरी छूट दी है जिसके चलते वे निकाय चुनाव से अपनी पसंद की टीम चुनकर रणनीति बनाने में जुटे हैं।
वीवीपीएट पर चुनाव आयोग तलब गुजरात में मतपत्र से चुनाव की मांग
गुजरात में एक बार फिर ईवीएम से चुनाव कराने पर सवाल उठाते हुए स्थानीय निकाय चुनाव मतपत्रों से कराने को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई। आयोग के पास पर्याप्त वीवीपीएट मशीन नहीं है, जिसको लेकर दायर याचिका पर अदालत ने आयोग को नोटिस जारी कर 10 फरवरी को जवाब तलब किया है। गुजरात उच्च नयायालय के मुख्य न्यायाधीश विक्रमनाथ तथा न्यायाधीश एजे शास्त्री की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता इम्तियाज खान पठाण की ओर से अधिवक्ता के आर कोष्टी की याचिका को स्वीकारते हुए चुनाव आयोग को यह नोटिस जारी किया है। इस पर आगामी सुनवाई 10 फरवरी को होगी। याचिकाकर्ता की ओर से उच्च नयायालय में दायर अर्जी में बताया गया कि चुनाव आयोग के पास पर्याप्त वीवीपीएट मशीन नहीं है, यह बात आयोग ने खुद सूचनाके तहत दी गई जानकारी में स्वीकार की है। वीवीपीएट के अभाव में चुनावों की विश्वसनीयता व निष्पक्षता हमेशा संदेह के घेरे में रहेगी। याचिकाकर्ता ने अदालत में कहा कि अगर पर्याप्त वीवीपीएट मशीन नहीं है तो आगामी स्थानीय निकाय चुनाव मत पत्रों से कराए जाने चाहिए।