सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने केंद्र, पश्चिम बंगाल सरकार (West Bengal government) और निर्वाचन आयोग (Election Commission) को निष्पक्ष, सुरक्षित, स्वतंत्र एवं शांतिपूर्ण विधानसभा चुनाव काराने का निर्देश देने की गुजारिश करने वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया है। सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) में यह याचिका पुनीत कौर ढांडा (Puneet Kaur Dhanda) की ओर से दाखिल की गई थी जिस पर न्यायमूर्ति अशोक भूषण (Justice Ashok Bhushan) की अध्यक्षता वाली पीठ ने विचार करने से इनकार कर दिया। शीर्ष अदालत (Supreme Court) कहा कि इस मसले पर विधि सम्मत दूसरे उपाय आजमाए जा सकते हैं।
याचिका में कहा गया था कि पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के विरोधियों और राजनीतिक कार्यकर्ताओं की कथित हत्या की घटनाएं हो रही हैं जिनकी जांच सीबीआई से कराई जानी चाहिए। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) को निर्देश देने की गुजारिश की गई थी। याचिकाकर्ता ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत दूसरे नेताओं पर पश्चिम बंगाल में हुए हमले की घटनाओं का हवाला देते हुए कहा कि ऐसे हालात में राज्य में निष्पक्ष एवं स्वतंत्र चुनाव कराना संभव नहीं है। ऐसा केवल तभी हो सकता है जब पश्चिम बंगाल के चुनाव शीर्ष अदालत (Supreme Court) की निगरानी में कराए जाएं।
जस्टिस हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी वाली इस पीठ के समक्ष याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया था कि तेलंगाना के रोहिंग्या मतदाताओं ने खुद को पश्चिम बंगाल में वोटर के रूप में पंजिकृत करा लिया है। यही नहीं मुस्लिम बहुल इलाकों में हिंदू मतदाताओं को मतदान केंद्रों पर वोट डालने के लिए जाने नहीं दिया जाता है। इस जनहित याचिका में केंद्रीय गृह मंत्रालय, पश्चिम बंगाल सरकार, निर्वाचन आयोग, राज्य चुनाव आयोग, सीबीआइ और राज्य के डीजीपी को भी पार्टी बनाया गया था। याचिका में कहा गया था कि राज्य में लगातार मानवाधिकारों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।