सरकार और किसान नेताओं के बीच अब 20 को होगी बातचीत, कृषि मंत्री ने कहा- दशा और दिशा बदलेंगे नए कृषि कानून

आंदोलनकारी किसान संगठनों के साथ सरकार की 10वें दौर की अब बुधवार 20 जनवरी को होगी। पहले यह वार्ता 19 जनवरी को होने वाली थी। वार्ता से पूर्व सोमवार को कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने तीनों नए कृषि कानूनों की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा, ‘इन कानूनों से देश के किसानों की दशा व दिशा बदलने वाली है। कानूनी बंधनों से मुक्त करने वाले, उपज के वाजिब मूल्य दिलाने वाले, महंगी फसलों की खेती को प्रोत्साहित करने वाले और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग से जोड़ने वाले हैं।’ कृषि सुधार किसानों के लिए मददगार साबित होंगे। तोमर सोमवार को यहां राष्ट्रीय सहकारी प्रबंधन संस्थान में आयोजित ग्रामीण स्वयंसेवी संस्थाओं के राष्ट्रीय सम्मेलन में बोल रहे थे।

किसान यूनियनें विकल्पों पर चर्चा करेंगी तो समाधान जरूर निकलेगा

समारोह के बाद पत्रकारों से बातचीत में तोमर ने कहा, ‘मंगलवार की वार्ता में किसान यूनियनें विकल्पों पर चर्चा करेंगी तो समाधान जरूर निकलेगा।’ सम्मेलन में तोमर ने कहा कि जब भी कोई अच्छी चीज होती है तो उसमें बाधाएं आती ही हैं। उनका इशारा कृषि सुधार को लेकर चलाए जा रहे किसान आंदोलन की तरफ था। उन्होंने कहा कि देशभर में यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) खत्म होने जा रहा है, जबकि सरकार बार-बार कई मंचों पर स्पष्ट कर चुकी है कि एमएसपी जारी रहेगा और सरकारी खरीद होती रहेगी। अब तो सरकार ने दलहन व तिलहन को एमएसपी में शामिल करने के साथ ही उनकी उपज की खरीद भी शुरू कर दी है।

कृषि क्षेत्र में असंतुलन पर गहरी चिंता जताई

खाद्यान्न उत्पादन में सरप्लस देश होने का दावा करते हुए तोमर ने कृषि क्षेत्र में असंतुलन पर गहरी चिंता भी जताई। उन्होंने कहा कि बड़े और छोटे किसानों की परिस्थितियां भिन्न हैं। इसी के मद्देनजर सरकार ने छोटे किसानों के लिए सब्सिडी, एमएसपी में उनकी भागीदारी बढ़ाने, टेक्नोलाजी व मार्केट लिंक जैसे लाभ देने के लिए कई उपाय किए हैं।

तोमर ने कहा कि लंबे समय से कृषि विशेषज्ञ कृषि सुधारों के लिए कृषि वैज्ञानिकों, किसान संगठनों व इस क्षेत्र में काम करने वाले अन्य विद्वानों से चर्चा करते रहे हैं। स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिश में सुधारों पर जोर दिया गया। कृषि में कानूनी सुधारों की जरूरत के मद्देनजर यह बदलाव लाया गया है। इन कानूनों की जरूरत तो बहुत पहले से महसूस की जा रही थी, लेकिन तत्कालीन सरकारें ‘दबाव और प्रभाव’ के आगे असहाय थीं। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों के हितों के मद्देनजर दो नए कानून और एक कानून में संशोधन का प्रस्ताव संसद से पारित कराया।