बांग्लादेश मूल की अंतरराष्ट्रीय लेखिका तसलीमा नसरीन अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में रहती हैं। अब अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण को लेकर दिए गए बयान को लेकर फिर सुर्खियों में हैं। उन्होंने ट्विटर पर लिखा है कि ‘अयोध्या में राम मंदिर के लिए कई मुसलमान वीएचपी के अभियान में दान दे रहे हैं। मुसलमानों को मंदिर के लिए धन जुटाने के लिए आगे आना चाहिए। फैजाबाद के मूल निवासी वसी हैदर और शाह बानो ने 12 हजार रुपये और 11 हजार रुपये का दान दिया। इकबाल अंसारी ने कहा कि कि मैं राम मंदिर के लिए निश्चित रूप से दान दूंगा। अगर मुस्लिम दान करते हैं, तो इससे हिंदू-मुस्लिम सद्भाव मजबूत होगा और हिंदुओं के साथ उनके संबंध मजबूत होंगे।’ हालांकि तसलीमा की टिप्पणी की ज्यादातर लोगों ने खुलकर प्रशंसा की है, लेकिन कुछ लोगों ने कहा है कि यह पैसा मुसलमानों से इकट्ठा नहीं किया जाना चाहिए।
Muslims in Ayodhya are donating to VHP’s crowdfunding drive for the Ram temple. Faizabad native Wasi Haider & Shah Bano donated Rs 12,000 & Rs 11,000. Iqbal Ansari said “I will definitely donate.If Muslims donate, it will strengthen harmony and cement their bonding with Hindus.”
— taslima nasreen (@taslimanasreen) January 17, 2021
इससे पहले अपने बयान में तसलीमा नसरीन ने कहा था कि भारत के अधिकांश हिंदू चाहते हैं कि राम मंदिर का निर्माण हो, इसलिए इसे बनने दें। मुसलमानों की तरह उन्हें भी पूरी तरह से धार्मिक और कट्टरपंथी होने का अधिकार है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि आप एक हिंदू हैं, तो आपको धर्मनिरपेक्ष होना चाहिए, यह आवश्यक नहीं है।
तसलीमा ने आगे कहा था कि मैंने भूमि पूजन देखा, उसी तरह जैसे काबा की परिक्रमा देखा, मीना की दीवार पर शैतान को पत्थर मारते देखा, सेंट पैट्रिक दिवस की परेड देखा, चर्च का उपदेश देखा, पुराने यरुशलम शहर में पश्चिमी दीवार पर यहूदियों को मत्था टेकते देखा। इसमें भाग लेना मेरा काम नहीं है। मेरा काम है सिर्फ देखना। राम मंदिर बनने से मैं न तो शोक मना रही हूं और न ही खुश हूं। भारत में ज्यादातर हिंदू चाहते हैं कि राम मंदिर का निर्माण हो, इसलिए इसे बनने दें।
तसलीमा के इस बयान पर कोलकाता के टीपू सुल्तान मस्जिद के शाही इमाम मौलाना बरकती ने कहा था कि बांग्लादेशी लेखिका ने हिंदुओं को सीधे ना बोल कर घुमा फिरा कर कट्टरपंथी कहना चाहा है, जो कहीं से भी सही तथा जायज नहीं है। राम मंदिर मुद्दे पर हिंदुओं का धार्मिक अथवा कट्टरपंथी होने का सवाल ही नहीं होता।
मुसलमानों को मस्जिद निर्माण के लिए पांच एकड़ जमीन देने पर उठाया था सवाल
इससे पहले जब अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला आया था, तो तसलीमा ने मस्जिद निर्माण के लिए मुसलमानों को पांच एकड़ जमीन देने पर भी सवाल उठाया था। उन्होंने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने अयोध्या में हिंदुओं को 2.77 एकड़ ज़मीन दी, जबकि मुसलमानों को पांच एकड़ ज़मीन! मुसलमानों को भी 2.77 एकड़ जमीन दी जानी चाहिए थी।
उन्होंने यहां तक कहा था कि अगर मैं जज होती, तो मैं अयोध्या में 2.77 एकड़ जमीन सरकार को देती, ताकि वहां एक आधुनिक स्कूल बनाया जा सके, जहां सभी बच्चों को मुफ्त में पढ़ाई करनी चाहिए। इसके अलावा, अत्याधुनिक अस्पताल बनाने के लिए पांच एकड़ जमीन दी जाएगी ताकि वहां मुफ्त में मरीजों का इलाज किया जा सके।