आर्थिक तंगी से जूझ रही दिल्ली सरकार के लिए आबकारी विभाग उम्मीद की एक किरण बन कर सामने आया है। पिछले दो माह में इस विभाग के माध्यम से मिलने वाले राजस्व में सुधार हुआ है। दिसंबर माह में पिछले साल से भी 11 फीसद अधिक राजस्व सरकार को मिला है। विभाग की रणनीति बचे हुए इन तीन माह में भी राजस्व बढ़ाने की है। प्रयास यह है कि किसी न किसी तरह इस साल भी 5 हजार करोड़ का आंकड़ा पार किया जाए। इसके लिए दुकानों पर सभी और पर्याप्त मात्रा में ब्रांड दुकानों पर रखे जाने के विभाग ने निर्देश दिए हैं।
इस साल की बात करें तो कोरोना काल के चलते अप्रैल से अक्टूबर तक राजस्व कम रहा है। मगर दिसंबर में जमकर जाम छलके। दिसंबर में दिल्ली वाले एक हजार करोड़ से अधिक की शराब पी गए। इस माह में एक दिसंबर से 24 दिसंबर तक 422 करोड़ का राजस्व आया था। मगर माह के अंत के सात दिन में खूब शराब की खपत हुई और विभाग को 93 करोड़ का राजस्व मिला। इस माह कुल राजस्व 515 करोड़ आया। यह आंकड़ा पिछले साल की अपेक्षा 11 फीसद अधिक है।
इस वित्तीय वर्ष में अभी तक कुल 2840 करोड़ का राजस्व आया है। जो पिछले साल के राजस्व से अभी 860 करोड़ कम है। मगर विभाग का लक्ष्य इस बार भी 5 हजार करोड़ पार करने की है। विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं कि आयुक्त राहुल सिंह ने दो लक्ष्य दिए हैं एक तो नियमों का पूरी तरह पालन कराया जाए और दूसरा राजस्व को कैसे बढ़ाया जाए। दोनों को ध्यान में रखकर काम किया जा रहा है।
लॉकडाउन के चलते कम हो गया था राजस्व
इससे पहले आबकारी विभाग को नवंबर 2019 में नवंबर 2018 की अपेक्षा 18 फीसद बढ़कर 430 करोड़ का कर मिला। इसी तरह अक्टूबर 2019 में 2018 की अपेक्षा 15 फीसद बढ़कर 453 करोड़ आया। 2019-20 वित्तीय वर्ष में शराब से कुल 6 हजार करोड़ का राजस्व प्राप्ति का लक्ष्य था। अप्रैल से दिसंबर तक 3700 करोड़ का राजस्व मिल चुका था। माना जा रहा था कि 52 सौ करोड़ से अधिक का राजस्व आएगा। मगर मार्च में कोरोना को लेकर लगाए गए लाकडाउन के चलते राजस्व कम हो गया और 5067 करोड़ का राजस्व ही मिल सका। इससे पहले वित्तीय वर्ष 2018-19 में 5028 करोड़ का राजस्व आया था। 2018 के दिसंबर के माह में 460 करोड़ का राजस्व शराब से मिला था।