नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली बॉर्डर पर 37 दिनों से किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। केंद्र सरकार के साथ 4 जनवरी को होने वाली आठवें दौर की बातचीत से पहले शुक्रवार को किसान संगठनों की अहम बैठक हुई। इसमें किसान आगे की रणनीति पर चर्चा किए। किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के सुखविंदर सिंह सभरा ने बताया कि तीनों कृषि कानून रद्द होने चाहिए। अगर 4 जनवरी को भी इसका कोई हल नहीं निकलता है, तो आने वाले दिनों में संघर्ष और तेज होगा। दिल्ली का चिल्ला और गाजीपुर बॉर्डर बंद कर दिया गया है। ट्रैफिक पुलिस के मुताबिक, आंदोलन को देखते हुए नोएडा और गाजियाबाद से आने वाले ट्रैफिक के लिए बॉर्डर को बंद कर दिया गया है।

इस बीच भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि 4 जनवरी को होने वाली बैठक में कानूनों की वापसी और एमएसपी पर कानून बनाने पर चर्चा होगी। आज सभी लोग विधिवत रूप से इस पर चर्चा करेंगे कि पहले हुई बैठक में क्या हुआ और अगली बैठक में क्या होगा। वहीं योगेंद्र यादव ने कहा कि किसानों के ये आंदोलन अब निर्णायक दौर में है, 30 तारीख की वार्ता के बारे में मैं इतना ही कहूंगा कि अभी तो पूंछ निकली है, हाथी निकलना अभी बाकी है।

एमएसपी को कानूनी अधिकार मिलने और तीनों कृषि कानूनों को खारिज करने पर सरकार टस से मस नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि 4 जनवरी को हमारी वार्ता है, अगर परिणाम संतोषजनक नहीं निकलते हैं तो 6 तारीख को KMP राजमार्ग पर मार्च किया जाएगा। 6 तारीख से 20 तारीख तक 2 हफ्ते पूरे देश में देश जागृति अभियान चलाया जाएगा।

गुरुवार को सरकार ने 2 मांगें मान ली थीं

किसानों के 4 बड़े मुद्दे हैं। पहला- सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस ले। दूसरा- सरकार यह लीगल गारंटी दे कि वह मिनिमम सपोर्ट प्राइस यानी MSP जारी रखेगी। तीसरा- बिजली बिल वापस लिया जाएगा। चौथा- पराली जलाने पर सजा का प्रावधान वापस लिया जाए। गुरुवार को पांच घंटे की बातचीत के बाद बिजली बिल और पराली से जुड़े दो मुद्दों पर सरकार और किसान संगठनों के बीच बात बन गई। इसके बाद किसानों ने 31 दिसंबर को होने वाली ट्रैक्टर रैली को टाल दिया। कृषि कानून और एमएसपी पर अभी भी मतभेद बरकरार हैं।

2 मांगों पर 4 जनवरी को बैठक

अब किसानों और केंद्र सरकार के बीच 4 जनवरी को आठवें दौर की बातचीत होनी है। इसमें किसानों की दो कृषि कानून को वापस लेने और एमएसपी की लीगल गारंटी की मांगों पर चर्चा होगी। बता दें कि किसान 26 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर डटे हैं। पंजाब में तो इससे पहले से आंदोलन कर रहे थे।

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