ऑल इंडिया मजलिस-ए- इत्तेहादुल मुसलमीन (एआइएमआइएम) के औरंगाबाद से सांसद इम्तियाज जलील ने सोमवार के कहा कि उनकी पार्टी गुजरात में छोटूभाई वसावा के नेतृत्व वाली भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) से गठजोड़ कर स्थानीय निकायों के चुनाव लड़ेगी। उन्होंन कहा कि बिहार विधानसभा के चुनाव में पांच सीटों पर जीत का स्वाद चखने के बाद पार्टी ने गुजरात की राजनीति में भी उतरने की योजना बनाई है। उन्होंने कहा, ‘हमारी योजना बीटीपी के साथ गठजोड़ कर स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने की है। गुजरात में अभी हमारी कोई प्रदेश शाखा नहीं है, लेकिन अहमदाबाद और भरूच जैसी जगहों पर एआइएमआइएम के समर्थक काम कर रहे हैं। बीटीपी से बातचीत के लिए मैं अगले महीने के पहले सप्ताह में गुजरात जा रहा हूं। उसके बाद पार्टी अध्यक्ष को रिपोर्ट सौंपूंगा।’ 182 सदस्यीय गुजरात विधानसभा में बीटीपी के दो विधायक है।
गौरतलब है कि इसी माह गुजरात उपचुनाव में कांग्रेस का सूपड़ा साफ होने के बाद से ही इस्तीफा देने का मूड बना चुके कांग्रेस अध्यक्ष अमित चावड़ा और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी संभाल रहे परेश धनानी ने राज्य के पार्टी प्रभारी राजेश यादव को सौंप दिया था। इससे पूर्व नवंबर माह में ही आठों सीट के उपचुनाव के परिणाम आते ही गुजरात प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष अमित चावड़ा ने आलाकमान के समक्ष हार की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफे की पेशकश कर दी थी। हालांकि इससे पहले हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने छह में से तीन सीट पर जीत दर्ज की थी। गत विधानसभा चुनाव में पार्टी की हार के बाद वरिष्ठ नेता भरत सिंह सोलंकी के स्थान पर अध्यक्ष बनाया गया था।
सोशल मीडिया में यह बात आते ही चावड़ा खेमे के कुछ कार्यकर्ताओं ने चावड़ा का यह कहते हुए बचाव किया था कि कि कांग्रेस इससे पहले भी कई राज्यों व देश में चुनाव हार चुकी है, लेकिन किसी नेता ने इस्तीफा नहीं दिया। यह तर्क देते हुए कार्यकर्ता चावड़ा से अपील कर रहे थे कि उन्हें भी इस्तीफा नहीं देना चाहिए। उनकी दलील थी कि प्रदेश कांग्रेस को चावड़ा ही इस स्थिति में बेहतर तरीके से संभाल सकते हैं। उनका यह भी कहना था कि गत उपचुनाव में कांग्रेस ने तीन सीट जीत ली थी, तब कोई उन्हें शाबाशी देने नहीं आया था।