एप के जरिये कर्ज देने वालों के खिलाफ तेलंगाना पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 17 लोगों को गिरफ्तार किया है। इन कर्जदाताओं के उत्पीड़न से तंग आकर पिछले एक माह में एक साफ्टवेयर इंजीनियर समेत तीन लोग खुदकुशी कर चुके हैं।
एप के जरिये कर्ज देने वालों के खिलाफ तेलंगाना पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 17 लोगों को गिरफ्तार किया है। इन कर्जदाताओं के उत्पीड़न से तंग आकर पिछले एक माह में एक साफ्टवेयर इंजीनियर समेत तीन लोग खुदकुशी कर चुके हैं। पुलिस ने बताया कि गिरफ्तार किए गए लोगों में 11 लोग गुरुग्राम (हरियाणा) और हैदराबाद के काल सेंटर में काम करते हैं। ये लोग कर्ज लेने वालों को वसूली के लिए धमकाने और तंग करने का काम करते थे। वहीं छह लोग हैदराबाद की एप आधारित कर्ज देने वाली कंपनियों के पदाधिकारी हैं। इनमें से कुछ डाइरेक्टर भी हैं।
प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर विदेशी तत्वों के शामिल होने के सुराग
हैदराबाद के पुलिस आयुक्त अंजनी कुमार ने बताया कि बेंगलुरु में रजिस्टर्ड चार कंपनियों ने विभिन्न काल सेंटर के 1100 टेली कालर्स को अपने काम में लगा रखा है। ये काल सेंटर तत्काल कर्ज मुहैया कराने वाले 30 एप के लिए काम करती हैं। उन्होंने बताया कि जांच के दौरान इस धंधे में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर विदेशी तत्वों के शामिल होने के सुराग मिले हैं। पुलिस आयुक्त ने कहा कि इस पूरे रैकेट में टेली कालर्स को इंडोनेशिया में बैठे आकाओं से दिशा- निर्देश मिलते हैं। आशंका है कि इस काम में शीर्ष पर चीन के नागरिक शामिल हैं। इनमें क्विक कैश, किश्त, लोन क्लाउड, इंस्टारुपे लोन, फ्लैश रुपे-कैश लोन, मास्टरमिलोन, कैशट्रेन, गेटरुपे, ईपे लोन, पांडा, आइक्रेडिट और ईजीलोन जैसे एप शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि इस साल अगस्त में करोड़ों के कलर प्रेडिक्शन गेमिंग एप घोटाला सामने आने पर पता चला था कि करोड़ों रुपए शेल (मुखौटा) कंपनियों में भेजे गए। ये कंपनियां भारत में गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के रूप में रजिस्टर्ड हैं। काल सेंटर्स पर छापों के दौरान पुलिस ने 700 लैपटाप, सर्वर, कंप्युटर सिस्टम जब्त किए हैं। इनकी गहन जांच करके अब तक हुए वित्तीय लेनदेन का पता लगाया जाएगा। इस संबंध में साइबराबाद के पुलिस आयुक्त वीसी सज्जनर ने बताया कि एप के जरिए लोन देने वाली दोनों कंपनियां न्यूनतम एक सप्ताह के लिए भी कर्ज देती हैं। कर्ज पर सालाना 35 फीसद की दर से ब्याज की वसूली की जाती है।
कर्ज की वसूली के लिए कर्जदारों को परेशान करने और ब्लैकमेल करने से भी यह कंपनियां गुरेज नहीं करतीं। उन्होंने बताया कि इन दोनों कंपनियों ने गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी के तौर पर पंजीकृत कराया है। उन्होंने अपना-अपना एप विकसित किया हुआ है। इनके पास 1.5 लाख ग्राहकों का डाटा मौजूद है जिसमें करीब 70 हजार सक्रिय ग्राहक हैं। उन दोनों कंपनियों ने दो नोडल अकाउंट बना रखे हैं। एक नोडल अकाउंट एनबीएफसी से फंड लेकर 75 से 80 फीसद कर्ज बांटता है। कर्जदारों से प्रोसेसिंग फीस और जीएसटी की वसूली भी की जाती है। जबकि कर्जदारों से वसूली जाने वाली रकम के लिए दूसरा नोडल अकाउंट इस्तेमाल किया जाता है जिसके जरिए फंड एनबीएफसी को भेज दिया जाता है।