ता. 17 नई दिल्ली
नए कृषि कानूनों पर सरकार और किसान संगठनों के बीच टकराव खत्म होने की राह अब सुप्रीम कोर्ट से होकर निकलती दिख रही है। किसान आंदोलन और इसके चलते बंद रास्ते खुलवाने से संबंधित याचिकाओं पर बुधवार को सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने समाधान तलाशने के लिए कमेटी गठित करने का संकेत दिया है। कमेटी में सरकार और किसान संगठनों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। अदालत ने इस संबंध में केंद्र, हरियाणा व पंजाब सरकारों एवं किसान संगठनों को नोटिस जारी कर संबंधित पक्षों से एक दिन में जवाब देने को कहा है। आज फिर मामले में सुनवाई होगी।
प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने रिषभ शर्मा, रीपक कंसल और जीएस मणि की याचिकाओं पर सुनवाई की। इस मामले में कोर्ट ने आठ किसान संगठनों को भी पक्षकार बनाते हुए नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने जिन किसान संगठनों को पक्षकार बनाया है उनमें भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू- राकेश टिकैत), बीकेयू सिधुपुर (जगजीत एस. डालवाल), बीकेयू – राजेवाल (बलबीर सिंह राजेवाल), बीकेयू- लखोवाल (हरिंदर सिंह लखोवाल), जमहूरी किसान सभा (कुलवंत सिंह संधू), बीकेयू – डाकौंडा (बूटा सिंह बुर्जगिल ), बीकेयू – डौडा (मनजीत सिंह राई) और कुल हिंद किसान फेडरेशन (प्रेम सिंह भांगू) शामिल हैं। सभी को गुरुवार तक जवाब देना है। केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिये हुई सुनवाई में मौजूद थे, इसलिए कोर्ट ने केंद्र को औपचारिक नोटिस नहीं जारी किया है।
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