- इन दिनों ग्रामीण क्षेत्रों में भाजपा विरोधी हवा नजर आ रही है। किसान आंदोलन कर रहे हैं
- कोरोना, अधिक बारिश से फसल नष्ट होने, बेरोजगारी कारोबार के खराब हालात से लोग परेशान हैं
कोरोना महामारी के बीच स्थानीय निकायों के चुनाव नवंबर के आखिरी सप्ताह या दिसंबर के पहले सप्ताह होने की चर्चा पर सोमवार को पूर्णविराम लग गया। चुनाव आयोग ने प्रदेश में कोरोना की स्थिति को देखते हुए चुनाव को 3 महीने के लिए टाल दिया है। अब चुनाव 2021 में ही होने की संभावना है। 3 महीने बाद भी कोरोना के हालात को देखते हुए चुनाव कराने पर निर्णय लिया जाएगा। कुछ राजनीतिक जानकर बता रहे हैं कि अगर नवंबर-दिसंबर में चुनाव होते तो भाजपा को नुकसान हो सकता था। फिलहाल चुनाव टाल दिया गया है। अब आगे क्या स्थिति बनती है यह देखने के बाद निर्णय लिया जाएगा।
किसान नाराज, लोगों की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं
कोरोना, अधिक बारिश से फसल नष्ट होने, बेरोजगारी कारोबार के खराब हालात से लोग परेशान हैं। ऐसे में चुनाव कराना सत्ताधारी भाजपा के लिए परेशानी बढ़ाने वाला हो सकता था। इन दिनों ग्रामीण क्षेत्रों में
भाजपा विरोधी हवा नजर आ रही है। किसान आंदोलन कर रहे हैं। 2015 में भी भाजपा को पाटीदार आंदोलन के कारण नुकसान हुआ था। इस कारण ही जिला पंचायत की 26 सीटों पर भाजपा हार गई थी।
विस चुनाव पर होता असर
स्थानीय निकाय चुनाव का सीधा असर विधानसभा चुनाव 2022 पर भी पड़ सकता है। इस कारण भाजपा अभी कोई खतरा मोल लेने के मूड में नहीं है। हालांकि, सूरत मनपा के चुनाव में भाजपा की जीत लगभग तय मानी जा रही है, लेकिन वह कम से कम नुकसान से जीत हासिल करना चाहती है।