नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क/एजेंसियां। मुंबई में सोमवार की सुबह बड़े इलाके में बिजली की सप्लाई प्रभावित हो गई जिससे हर ओर अफरातफरी का माहौल देखने को मिला, बिजली की सप्लाई ठप होने की वजह से यहां लोकल ट्रेनें रूक गई, ट्रैफिक सिग्नलों ने काम करना बंद कर दिया। सीसीटीवी कैमरे बंद हो गए। बैकों में कामकाज प्रभावित हो गया। ऑनलाइन लेन-देन बंद हो गए। मुंबई में बिजली की सप्लाई ठप होने के बाद सुबह से ही लोग परेशान हुए। शुरूआत में बताया गया कि ग्रिड फेल होने की वजह से बिजली की सप्लाई प्रभावित हुई है मगर कुछ समय के बाद ये साफ हो पाया कि दरअसल ये मुंबई की अपनी लोकल समस्या थी, ग्रिड से इसका कोई लेना देना नहीं था। ग्रिड से मुंबई को सप्लाई मिल रही थी मगर उसके अपने ग्रिड से लोकल स्तर पर सब स्टेशनों को बिजली सप्लाई में समस्या हो रही थी। धीरे-धीरे सभी इलाकों में सप्लाई सामान्य हो पाई। ग्रिड फेल होने के बारे में जब पॉवर ग्रिड के अधिकारियों से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि पॉवर ग्रिड फेल नहीं हुआ था, बल्कि ये मुंबई का लोकल ग्रिड फेल हुआ था। इसी वजह से बिजली की सप्लाई ठप हो गई थी। यह पॉवर फेल डिमांड और सप्लाई में बड़ा अंतर आने से होता है। अगर डिमांड ज्यादा और सप्लाई कम है तो लोड बढ़ने से ग्रिड फेल हो जाता है।

कैसे फेल होती है पावर ग्रिड : देश में बिजली का ट्रांसमिशन 49-50 हर्ट्ज की फ्रीक्वेंसी पर होता है। जब भी ये फ्रीक्वेंसी उच्चतम या न्यूनतम स्तर तक पहुंच जाती है तो पावर ग्रिड फेल होने का संकट पैदा हो जाता है। ऐसी स्थिति में ट्रांसमिशन लाइन पर ब्रेकडाउन हो जाता है जिसे ग्रिड फेल होना कहते हैं। इससे सप्लाई ठप हो जाती है। जिन स्टेशनों से बिजली की सप्लाई की जाती है वहां से फ्रीक्वेंसी का ध्यान रखना पड़ता है। इन स्टेशनों को 48.5 से 50.2 हर्ट्ज के बीच फ्रीक्वेंसी रखनी होती है। नेशनल लोड डिस्पैच सेंटर इसके लिए राज्यों पर नजर रखता है। कई बार राज्य लिमिट से ज्यादा पावर की सप्लाई कर देते हैं जिससे ग्रिड फेल होने का संकट पैदा हो जाता है।

लाइनों का बड़ा नेटवर्क है ग्रिड : ग्रिड बिजली लाइनों का एक नेटवर्क होता है, जिसके जरिए उपभोक्ता तक बिजली की सप्लाई की जाती है। यानी बिजली उत्पादन से लेकर बिजली आपके घर या दफ्तर पहुंचाने तक जिस नेटवर्क का इस्तेमाल किया जाता है उसे पावर नेटवर्क कहा जाता है। पावर ग्रिड के पावर जनरेशन पावर ट्रांसमिशन और पावर डिस्ट्रीब्यूशन तीन स्टेज होते हैं, सबसे पहले बिजली का उत्पादन किया जाता है। ये कई तरह से पैदा होती है पानी से यानी डैम में पानी इकट्ठा करके बनाई जाती है। कोयला से बिजली बनाई जाती है। हवा से बिजली बनाई जाती है। बिजली निर्माण के बाद उसकी सप्लाई उन राज्यों या इलाकों में की जाती है, जिनसे इसके लिए करार होता है। इस बिजली सप्लाई को पॉवर ट्रांसमिशन कहा जाता है इसके बाद संबंधित पॉवर स्टेशनों से बिजली ग्राहकों तक सप्लाई की जाती है, जिसे पावर डिस्ट्रीब्यूशन कहा जाता है।

क्यों होता है Power Grid फेल? : पावर ग्रिड के सामान्य संचालन के लिए हमारे देश में 50 हर्ट्ज पर बिजली ट्रांसमिशन निर्धारित है। इसमें 0.5 हर्ट्ज तक कमी-बेसी मान्य है, इससे कम या ज्यादा होने पर ग्रिड फेल हो जाता है और ग्रिड से जुड़े इलाकों की बिजली गुल हो जाती है। ग्रिड में शामिल किसी इलाके द्वारा निर्धारित मात्रा से ज्यादा बिजली लेकर खपत कर देने से ग्रिड का संचालन फेल हो जाता है।

क्या है पावर ग्रिड? : बिजली उत्पादन और बिजली आपूर्ति के तंत्र को पावर ग्रिड कहा जाता है। इससे बिजली उत्पादन संयंत्र, इंडस्ट्री और घरों में बिजली आपूर्ति का प्रबंधन जुड़ा होता है।

देश में हैं पांच ग्रिड : भारत में पांच बिजली ग्रिड हैं। इनके नाम नार्दर्न, ईस्टर्न, नार्थ-ईस्टर्न, सदर्न और वेस्टर्न ग्रिड है। सदर्न ग्रिड को छोड़कर देश के सभी ग्रिड आपस में जुड़े हुए हैं।

नार्दर्न ग्रिड से जुड़े हैं 9 रीजन : नार्दर्न ग्रिड से पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और चंडीगढ़ जुड़े हैं।

ईस्टर्न ग्रिड से 6 राज्य : ईस्टर्न ग्रिड से छह राज्यों की बिजली आपूर्ति जुड़ी हुई है। ये राज्य पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड, उड़ीसा और सिक्किम है।