वाशिंगटन, प्रेट्र। भारतवंशी समेत विज्ञानियों के एक दल ने रक्त और लार में लंबे समय तक सक्रिय रहने वाली एंटीबॉडी की पहचान की है। उन्होंने इस एंटीबॉडी की मौजूदगी को साबित किया है, जो कोरोना वायरस (COVID-19) रोगियों में तीन महीने तक रक्त और लार में इस घातक वायरस को निशाना बना सकती है। इस निष्कर्ष से वायरल संक्रमण के लिए जांच की वैकल्पिक विधियों की राह खुल सकती है। जर्नल साइंस में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, इम्यूनोग्लोबुलिन जी (IGG) वर्ग की एंटीबॉडी की पहचान की गई है। इस वर्ग की एंटीबॉडी लंबे समय तक सक्रिय रह सकती है। यह एंटीबॉडी न सिर्फ नए लक्ष्यों के तौर पर काम कर सकती है बल्कि इससे कोरोना का कारण बनने वाले सार्स-कोवी-2 के खिलाफ इम्यून रिस्पांस का मूल्यांकन भी किया जा सकता है।
अमेरिका के हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के शोधकर्ताओं के मुताबिक, इस एंटीबॉडी की रक्त और लार दोनों में समान रूप से पहचान की जा सकती है। इससे जाहिर होता है कि एंटीबॉडी टेस्टिंग के लिए लार को एक वैकल्पिक जैव तरल पदार्थ के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। इस अध्ययन से जुड़ीं भारतीय मूल की विज्ञानी अनीता अय्यर और उनकी टीम ने 122 दिनों तक 343 कोरोना रोगियों के रक्त में एंटीबॉडी रिस्पांस का मूल्यांकन किया। फिर इसकी तुलना उन 1,548 लोगों के साथ की, जिनके रक्त के नमूने महामारी से पहले लिए गए थे। उन्होंने पीड़ितों में कोरोना लक्षण उभरने के बाद 15 से 28 हफ्तों के दौरान आइजीजी, आइजीए, आइजीएम वर्ग की एंटीबॉडी की संवेदनशीलता पर भी गौर किया। इनमें से आइजीजी वर्ग की एंटीबॉडी को 90 दिनों तक सक्रिय पाया गया।
रूस में कोरोना संक्रमण के रिकॉर्ड मामले आए सामने
गौरतलब है कि विश्वभर के अधिकतर देशों में कोरोना संक्रमण फैला हुआ है। रूस में कोरोना वायरस की दूसरी लहर की आशंका के बीच नए मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। रूस में आज कोरोना के रिकॉर्ड नए मामले दर्ज किए गए हैं। जिसके बाद राजधानी मॉस्को में बार और क्लब को बंद किए जाने पर विचार चल रहा है। रूस में बीते 24 घंटों में कोरोना वायरस के 12,126 नए मामले सामने आए हैं। इसको मिलाकर रूस में अब तक 12 लाख 72 हजार 238 मामले सामने आ चुके हैं।