ग्वालियर। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने शुक्रवार को राजनीतिक कार्यक्रमों में कोविड-19 की गाइडलाइन के उल्लंघन के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि प्रशासन नियमों का उल्लंघन करने वालों पर एफआइआर के मामले में समानता का व्यवहार नहीं कर रहा है। सत्ता पक्ष के कार्यक्रमों में नियम टूट रहे हैं और कोर्ट के आदेश का भी उल्लंघन हो रहा है, लेकिन केस दर्ज नहीं किए जा रहे हैं। अभी तक जितने भी केस दर्ज हुए हैं, एक ही पक्ष के खिलाफ हुए हैं। कोर्ट ने याचिकाकर्ता, न्यायमित्र के बाद शासन को आदेश दिया है कि अब तक कितने केस दर्ज हुए हैं और किस पर हुए हैं, इसका पूरा रिकॉर्ड पेश किया जाए। अगली सुनवाई अब 12 अक्टूबर को होगी।
आशीष प्रताप सिंह ने जनहित याचिका दायर कर यह मुद्दा उठाया था कि कोविड-19 की गाइडलाइन का उल्लंघन हो रहा है। सख्ती दिखाते हुए तीन अक्टूबर को हाई कोर्ट ने कहा था कि राज्य शासन के अधिकारी गाइडलाइन के पालन में असमर्थ दिखने के साथ-साथ अनदेखी भी कर रहे हैं। कोर्ट आदेश देता है कि राजनीतिक, शासकीय, सामाजिक कार्यक्रमों में कोविड-19 की गाइडलाइन का उल्लंघन होने पर संबंधित के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) और आपदा नियंत्रण कानून के तहत केस दर्ज किया जाए। यदि अधिकारी ऐसा नहीं करते हैं तो कोर्ट की अवमानना के लिए जिम्मेदार होंगे।
कार्रवाई से बचने के लिए बनाया नया नियम
याचिकाकर्ता याचिकाकर्ता तीन बिंदु हाई कोर्ट के संज्ञान में लाए हैं। 1. गत दिनों केंद्र सरकार ने चुनाव प्रचार को लेकर नई गाइडलाइन जारी की है। सभा में 100 लोगों की उपस्थिति की बाध्यता को खत्म कर दिया। कार्रवाई से बचने के लिए राजनीतिक दलों ने अपने हिसाब से नियम बना लिए हैं। यदि सभा में भीड़ बुला सकते हैं, तो सामान्य कार्यक्रमों में क्यों नहीं। सभी के साथ समानता का व्यवहार किया जाना चाहिए।
-शहर में जनसंपर्क, सभाओं में भीड़ हो रही है। प्रशासन उसे रोक नहीं पा रहा है। कहीं-कहीं सभा में छोटे बच्चों को भी बुलाया जा रहा है।
-कोर्ट के आदेश के पालन में प्रशासन को जिस तरह की सख्त दिखानी चाहिए, वह नहीं दिखा रहा है।