मुकेश अंबानी के घर के बाहर विस्फोटक लदी कार मिलने से अनिल अंबानी हेलिकॉप्टर केस की यादें ताजा हो गई हैं। 12 साल पहले उनके हेलिकॉप्टर को क्रैश करने करने का प्रयास हुआ था। मनसुख की तरह उस केस में भी मुख्य कड़ी की मौत हो गई थी।

रिलायंस समूह के चेयरमैन व प्रबंध निदेशक मुकेश अंबानी के मुंबई स्थित घर के बाहर खड़ी स्कॉर्पियो गाड़ी में विस्फोटक मिलने का मामला फिलहाल सुलझता नहीं दिख रहा। जिस स्कॉर्पियो गाड़ी में अंबानी के घर के बाहर जिलेटिन की छड़ें मिली थीं, उसके मालिक की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो चुकी है। इस घटना ने 12 साल पहले उनके छोटे भाई अनिल अंबानी के साथ हुई इसी तरह की साजिश की यादें ताजा कर दी हैं। तब अनिल अंबानी के हेलिकॉप्टर को क्रैश कराने की साजिश रची गई थी। दोनों भाईयों के साथ हुई इन सनसनीखेज वारदात में कई समानताएं हैं।

मुकेश अंबानी केस में स्कॉर्पियो मालिक की मौत

मुकेश अंबानी केस की तरह ही अनिल अंबानी हेलिकॉप्टर केस में भी मुख्य कड़ी की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। मुकेश अंबानी मामले में संदिग्ध स्कॉर्पियों गाड़ी के मालिक मुंबई के व्यापारी मनसुख हिरेन की पांच मार्च को संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो चुकी है। उनका शव ठाणे की कलवा क्रीक से बरामद हुआ है। बताया जा रहा है कि कीचड़ से सने शव के चेहरे पर रुमाल बंधा हुआ था। पुलिस को सर्विलांस में उनकी अंतिम मोबाइल लोकेशन पालघर जिले के विरार में मिली थी। विरार और ठाणे के बीच तकरीबन 50 किलोमीटर की दूरी है। लिहाजा मनसुख का परिवार उनकी मौत के पीछे किसी बड़ी साजिश की आशंका व्यक्त कर रहा है। मनसुख इस केस में जांच एजेंसियों के लिए अहम कड़ी साबित हो सकते थे

अनिल अंबानी केस में हेलिकॉप्टर मैकेनिक की मौत

मुकेश अंबानी की तरह ही अनिल अंबानी की जान को भी खतरे में डालने की साजिश रची गई थी। अप्रैल 2009 में बेहद खतरनाक तरीके से उनका हेलिकॉप्टर क्रैश कराने की साजिश रची गई थी। मामले में 23 अप्रैल को अनिल अंबानी की कंपनी की तरफ से मुंबई पुलिस को शिकायत दे रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। रिपोर्ट दर्ज होने के पांच दिन बाद, 28 अप्रैल 2009 को हेलिकॉप्टर के टेक्नीशियन भरत बोर्गे की संदिग्ध परिस्थितियों में ट्रेन से कटकर मौत हो गई थी। इसके बाद मुंबई क्राइम ब्रांच ने अनिल अंबानी के हेलिकॉप्टर की देखरेख के लिए तैनात दो हेल्परों (पालराज थेवर और उदय वारेकर) को गिरफ्तार किया था। टेक्नीशियन भरत बोर्गे इस केस की अहम कड़ी था। मौत से पहले उसने एक चिट्ठी लिखी थी, जो मामले में किसी बड़ी साजिश की तरफ इशारा करती है। हालांकि साजिश का खुलासा होने से पहले ही उसकी मौत हो गई।

दोनों वारदात में अंबानी बंधुओं को था जान का खतरा

अनिल अंबानी के हेलिकॉप्टर को जिस तरह से क्रैश कराने की साजिश रची गई थी, इससे उनकी जान को खतरा था। ठीक इसी तरह मुकेश अंबानी के घर के बाहर खड़ी गाड़ी में मिली जिलेटिन की 20 छड़ें किसी बड़े धमाके की प्लानिंग की तरफ इशारा करती हैं। अगर साजिशकर्ता मुकेश अंबानी के काफिले के आसपास धमाका करने में कामयाब होता तो इससे उनकी जान को खतरा हो सकता था।

साजिश का नहीं हुआ खुलासा

मुकेश अंबानी के घर के बाहर विस्फोटक लदी कार का मामला अभी ताजा है। फिलहाल जांच एजेंसियों के हाथ खाली हैं। इस केस में अचानक मनसुख की मौत हुई और गुत्थियां उलझती जा रही हैं। इससे मामले का खुलासा कर पाना, जांच एजेंसियों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है। ठीक इसी तरह अनिल अंबानी मामले में भी टेक्नीशियन की मौत के बाद, कई तरह के सवाल खड़े हो गए थे। इसके बाद मुंबई पुलिस ने दो हेल्परों को गिरफ्तार भी किया, लेकिन पूरी साजिश का खुलासा अब तक नहीं हुआ।

ऐसे रची गई थी हेलिकॉप्टर क्रैश की साजिश

अनिल अंबानी के हेलिकॉप्टर की देखरेख की जिम्मेदारी एयरवर्क्स इंजीनियरिंग के पास थी। 23 अप्रैल 2009 को अनिल अंबानी की कंपनी की तरफ मुंबई पुलिस को शिकायत दी गई थी। इस शिकायत में बताया गया था कि एयरपोर्ट पर खड़े अनिल अंबानी के हेलिकॉप्टर के पेट्रोल टैंक (फ्यूल टैंक) में पत्थर और रेत मिली है। इससे उड़ान के दौरान हेलिकॉप्टर का इंजन बंद हो सकता था। मतलब साजिश हेलिकॉप्टर को क्रैश कराने की थी।

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