देश की राजनीति के कद्दावर नेता मराठा क्षत्रप शरद पवार रविवार को झारखंड आ रहे हैं। वे यहां राकांपा सम्मेलन को संबोधित करेंगे। पवार की मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात तय है। संभव है कि हेमंत मंत्रिमंडल में राकांपा की भागीदारी पर बातचीत हो।

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद पवार रविवार को झारखंड आ रहे हैं। वे यहां मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात करेंगे। इसकी प्रबल संभावना है कि वे मुख्यमंत्री से उनके मंत्रिमंडल में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की भागीदारी को लेकर बातचीत करेंगे। हालांकि राज्य में झामुमोनीत गठबंधन सरकार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का समर्थन प्राप्त है। हुसैनाबाद, पलामू के एनसीपी विधायक कमलेश कुमार सिंह पहले से ही सीएम हेमंत सोरेन के साथ खड़े हैं। अब सरकार में एनसीपी के शामिल होने पर उनके मंत्री बनने की अटकलें तेज हो गई हैं।

शरद पवार रविवार को हरमू मैदान में पार्टी की प्रदेश स्तरीय कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित करेंगे। उनके साथ महासचिव प्रफुल्ल पटेल, महिला राकांपा अध्यक्ष फौजिया खान, युवा अध्यक्ष धीरज शर्मा और छात्र संघ की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया दुहन समेत अन्य वरिष्ठ नेता भी सम्मेलन में शिरकत करेंगे। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष कमलेश कुमार सिंह और युवा नेता सूर्या सिंह ने यह जानकारी दी।

इधर हेमंत मंत्रिमंडल में दावेदारी को लेकर राकांपा के प्रदेश अध्यक्ष कमलेश कुमार सिंह का कहना है कि यह मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है। राकांपा यूपीए का अहम अंग है और राष्ट्रीय नेतृत्व के निर्देश पर बगैर शर्त उन्होंने हेमंत सोरेन सरकार का समर्थन किया है। बोर्ड-निगम में पार्टी की भागीदारी संबंधी सवाल पर उन्होंने कहा कि अभी इस विषय में कोई बात नहीं हुई है।

कमलेश कुमार सिंह ने बताया कि राज्यस्तरीय सम्मेलन की तैयारियां पूरी कर ली गई है। सम्मेलन में सभी 24 जिलों से 20 हजार से ज्यादा कार्यकर्ता भाग लेंगे। दावा किया कि शरद पवार के आगमन से कार्यकर्ताओं में उत्साह पैदा होगा। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी भविष्य में होने वाले चुनावों में भी मजबूती से भागीदारी करेगी। लोकसभा की तीन और विधानसभा चुनाव में 10 से 12 सीटों पर लड़ने की तैयारी है।

उन्होंने कहा कि शरद पवार को यूपीए गठबंधन का अध्यक्ष बनाया जाना चाहिए। देश की तमाम धर्मनिरपेक्ष पार्टियां उनके साथ है. आज देश में किसान आंदोलनरत है। लेकिन केंद्र में मंत्री रहने के दौरान उन्होंने किसानों का 80 हजार करोड़ रुपये का कृषि ऋण माफ कर दिया था। शरद पवार ने धान एवं गेहूं का समर्थन मूल्य बढ़ाकर दोगुना कर दिया था।