एक नए अध्ययन से पता चला है कि आदिमानव से विरासत में मिला प्रोटीन मरीजों को कोरोना संक्रमण से लड़ने में मदद पहुंच सकता है। यह शोध ‘नेचर मेडिसिन’ नामक जर्नल में प्रकाशित हुआ है। इसमें कहा गया है कि प्रोटीन ‘ओएएस1’ ऐसी बीमारी होने से रोकता है, जिसमें वेंटीलेटर की जरूरत पड़ती है। इतना ही नहीं अगर शरीर में प्रोटीन का स्तर ज्यादा है तो कोरोना से मौत होने की गुंजाइश ना के बराबर होती है।

कनाडा स्थित लेडी डेविस इंस्टीट्यूट से ताल्लुक रखने वालीं और अध्ययन की लेखिका ब्रेंट रिच‌र्ड्स ने कहा कि विश्लेषण से पता चलता है कि ओएएस1 कोरोना से जूझ रहे गंभीर मरीजों के इलाज में मददगार है। अध्ययन के दौरान विज्ञानियों ने रक्त में इस प्रोटीन का पता लगाया।

शोधकर्ताओं का कहना है कि कौन से प्रोटीन कोरोना से लड़ने में मददगार हैं, यह पता लगाने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। विज्ञानियों ने कहा कि शोध के दौरान 14,134 कोरोना मरीजों में प्रोटीन का स्तर बढ़ा हुआ था, जिसके चलते इन्हें अस्पताल में भर्ती कराने, वेंटीलेटर पर रखने और इनके मौत होने की संभावना सबसे कम रही। वहीं, जब 504 मरीजों में प्रोटीन का स्तर मापा गया तो विज्ञानियों ने पाया कि संक्रमण के बाद रोगियों में ओएएस1 के बढ़ने से कोरोना संक्रमण से लड़ने में मदद मिलती है। दिलचस्प तथ्य यह है कि गैर अफ्रीकी लोगों में पी46 के नाम से यह प्रोटीन पाया जाता है।

शोधकर्ताओं के मुताबिक ओएएस1 का यह रूप संभवत: हजारों वर्ष पहले आदिमानव और यूरोपीय समाज के लोगों के बीच हुए संभोग से उभरा था। यूरोपीय मूल के तीस प्रतिशत से अधिक लोगों में यह प्रोटीन विद्यमान है।