साइबर ठगी को लेकर लोगों में बढ़ रही जागरूकता को देखते हुए ठगों ने भी अपना तरीका बदल लिया है। साइबर ठगों की ओर से अपनाए जा रहे नए तरीके ने पुलिस की चुनौतियों को बढ़ा दिया है। यह बात ग्वालियर साइबर पुलिस के अध्ययन में सामने आई है। साइबर पुलिस को पता चला है कि लोगों द्वारा यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस यानी यूपीआइ सिस्टम का प्रयोग ही ऐसे मामलों में उनकी समस्या बढ़ा रहा है। पढ़ें यह रिपोर्ट और साबइर ठगों से रहें सावधान…

यूपीआइ से ठगी

दरअसल, ठग अब ई-वालेट के बजाय ई-अकाउंट (यूपीआइ) से ठगी की रकम ट्रांसफर कराते हैं। जब तक पुलिस बैंक की मदद से ई-अकाउंट की जानकारी जुटाती है तब तक पैसा ठगों की जेब तक पहुंच जाता है। उसे रोकना या वापस लाना मुश्किल होता है। इससे पहले साइबर सेल के पुलिसकर्मियों ने ‘स्टाप बैंकिंग फ्राड वाट्सएप ग्रप’ और वेबसाइट बनाकर पिछले वर्षों में तकरीबन 13 करोड़ रुपए ठगों की जेब में जाने से बचा लिए थे।

रिकवरी रेट गिरी

पिछले एक साल में साइबर पुलिस के इस ग्रुप में करीब एक करोड़ रुपए ठगे जाने की शिकायतें अलग-अलग राज्यों से आईं लेकिन उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र और गुजरात की पुलिस मिलकर इसमें से महज 10 फीसद रकम ही ठगों के चंगुल से बचाने में सफल हो सकी है। इससे पहले रिकवरी रेट 25 से 30 फीसद होता था।

यूपीआइ सिस्टम बना चुनौती

एप के माध्यम से आनलाइन भुगतान के कई तरीके तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं। इनमें यूपीआइ (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) ई-अकाउंट में रुपये भेजे जाते हैं। ठग भी इन्हीं माध्यमों को ठगी का जरिया बना रहे हैं। इसमें खाते से रुपए तो चले जाते हैं पर इसका विवरण बैंक के पास नहीं होता कि किस खाते में रुपया गया। ठग भी आनलाइन ठगी के दौरान यूपीआइ के माध्यम से एक साथ कई ई-अकाउंट में रुपए भेजते हैं और फिर ऐसे ही दूसरे खातों में रुपया पहुंचा दिया जाता है।

यह ट्रिक अपना रहे ठग 

इसका विवरण निकालने में बैंक को संबंधित यूपीआइ के सर्वर से जानकारी जुटानी पड़ती है। इसमें 24 घंटे से अधिक का वक्त लग जाता है और यदि कई खाते हुए तो और भी ज्यादा समय लगता है। पुलिस तक ऐसे खाताधारकों की जानकारी पहुंचने तक रुपए निकाले जा चुके होते हैं। पहले ई-वालेट में ठगी के रुपए डलवाए जाते थे। इसमें 24 घंटे में शिकायत करने पर पुलिस भुगतान रुकवा देती थी।

ठगी का तरीका बदला

साइबर विशेषज्ञ कहते हैं कि अब ऑनलाइन ठगी के तरीके में भी बदलाव देखा जा रहा है। जो शिकायतें आ रही है उसके मुताबिक अब ठग ऑनलाइन शापिंग, किसी संस्थान में प्रवेश दिलाने के नाम पर खाते में रुपए ट्रांसफर कराना, बीमा की रकम दिलाना, रका फंड दिलाने का झांसा देकर रुपए अपने खाते में डलवा लेते हैं।

ऐसे देते हैं झांसा

ठग खाते में गड़बड़ी ठीक करने की बात कहकर लिंक भेजते हैं और जैसे ही उस लिंक पर क्लिक किया जाता है खाते से रुपए निकल जाते हैं। एटीएम का पिन पूछना, एटीएम कार्ड बदलने जैसी शिकायतें अब कम आती हैं। साइबर सेल ग्वालियर के पुलिस अधीक्षक सुधीर अग्रवाल कहते हैं कि ठग पहले ई-वॉलेट में ठगी की रकम ट्रांसफर करते थे तो अब ई-अकाउंट में पैसा भेजकर निकाल लेते हैं। ठगी पर लगाम लगाने के लिए नई रणनीति बनाई जा रही है।

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